Book Title: Vajradant Chakravarti Barahmasa
Author(s): Nainsukh Yati, Kundalata Jain, Abha Jain
Publisher: Kundalata and Abha Jain

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Page 76
________________ चौथे मास में पिता के द्वारा समझाए जाने पर स्पर्शन CAS रसना सिद्धार्ण आयरिया णमो लोए सब साहू पाँच इंद्रिय भोग भुजंग एसी पंच णमोकारो - सव्व पावप्पणासणी, मंगलाणं च सव्वेसिं, पढमं हवई मंगलं । घ्राण चक्षु 12140 ७५ कर्ण पुत्रों ने कहा कि- 'हे पिता ! विषयों का त्याग करके हम गिरिगुफा व 1) निर्जन वन में बसेंगे और णमोकार मंत्र का प्रभाव देखकर भोग भुजंग हमें डसेंगे नहीं और हम प्रमाद छोड़कर जिनागम पढ़ेंगे।' wwwwwww

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