Book Title: Vairagyashatakama
Author(s): Ramchandra D Shastri
Publisher: Ramchandra D Shastri

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Page 5
________________ XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX ॥ श्री वीतरागाय नमः ॥ ॥ श्री वैराग्यशतकम् ॥ प्रणम्य परमात्मानं । बालबोधाय लिख्यते ॥ वैराग्यशतकस्यास्य । नाषा टीकानुसारिणी ॥१॥ श्री पूर्वाचार्य महाराजे पूर्वमांयी नहार करीने वैराग्यशतक नामनो ग्रंथ रच्यो . अने तेनी टीका संवत् १६५७ ना वर्षमां खरतर गहीय श्री जिनचंसुरिना राज्यमां यएला श्री गुणविनय नामा आचार्ये करी . तेनो जावार्थ | लने आ बालावबोध कस्यो , ॥आर्यावृत्तम् ॥ संसारे सारे नास्ति सुखं व्याधिवेदनाप्रचुरे संसारंमि असारे । नबि सुहं वाहिवेअणापरे । ****XXXXXXXXXXXXXXXXXX For Private & Personal Use Only Jain Education Memattonal IV w.jainelibrary.org

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