Book Title: Updeshpad Mahagranth Satik Part 01
Author(s): Jinendrasuri, 
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 3
________________ प्रस्तावना -*श्री जैन शासननी तारनारी वाणीथी कोण प्रभावित न थाय ? श्री हरिभद्र भट्ट पण सूत्रनी गाथानो अर्थ न ] समजी सकता पू. साध्वोजी याकिनी महत्तरा पासे गया। तेओ पूज्याचार्यदेव पासे गया अने शिष्य बनी १४४४ प्रन्थना कर्ता पू. हरिभद्रसूरि बन्या. अने पूज्य साध्वीजी याकिनी महत्तराना उपकार जीवनभर न भूल्यां. पोते पोताना माटे 'याकिनी महत्तरा सुनु.' याकिनी महत्तराना पुत्र तरीके संबोधी कृतज्ञ शिरोमणि बन्या. प्राकाण्ड विद्वान ब्राह्मण आवा महान आचार्य बन्या परंतु तेमना हैयामां जैन शासननी सर्वशिरोमणिता, सर्व श्रेष्ठता, सर्वजीव हितकारकता तथा सर्व सिद्धांत श्रेष्ठता केटली बधी वसेल तेना पुरावा माटे तेओना अनेक ग्रन्थ रत्नो छतां आ उपदेश पद महाग्रन्थ एक मात्र बस थइ पडे तेम छे. ब्राह्मण पण परं श्रद्धावान् अने जैन शासन परम प्रभावक महापुरुषनो आ ग्रन्थ न वांचे त्यां सुधी आवा महान शासननी महान ओलख थवी कठीन छे. निष्पक्ष अने मात्र हितकांक्षी एवा तेओश्रीए निष्पक्ष अने मात्र हितकांक्षी जीवो माटे परम कल्याणकर जैन शासन ऐज आधार छे ऐवं निष्पक्ष प्रतिपादन करीने जीवाने जैन शासनमां समाई जवा सगवड करी आपी छे.

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