Book Title: Updeshpad Mahagranth Satik Part 01 Author(s): Jinendrasuri, Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala View full book textPage 2
________________ प्रकाशिका - श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रंथमाला (लाखाबावल) C1o श्रुतज्ञान भवन ४५ दिग्विजय प्लोट जामनगर ( सौराष्ट्र ) : विक्रम सं. २०४५ : सन् १९८९ : प्रथमावृत्ति दर्शन आभार अमारी ग्रन्थमाला तरफथी प्राचीन साहित्य प्रकाशन योजनामां आ उपदेशपद विभाग पहेला प्रगट करतां आनंद अनुभवीए छीए ! वीर सं. २५१५ : प्रतयः ७५० आ ग्रन्थ माटे परम पूज्य व्या. वा. परम शासन प्रभावक शासनशिरोमणि पूज्याचार्य देवेश श्रीमद् विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजाना निश्रावर्ती परम पूज्य तपस्वी रत्न मुनिराज श्री कमलरत्नविजयजी महाराजना सदुपदेशथी पू. आ. श्री दान- प्रेम रामचन्द्रसूरीश्वर आराधना भवन रतलाम श्राविकाओना ज्ञान खाता तरफथी सुंदर सहकार मल्यो. छे. मना तरफथी आ ग्रन्थ प्रकाशित थाय छे. ते माटे पूज्य मुनिराज श्री तथा श्री आराधन भवन श्राविका 'बेनानो आभार मानीए छीए. ता - २०-१०-८९ शाकमारकेट सामे, जामनगर लि. महेता मगनलाल चत्रभुज व्यवस्थापक, श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रंथमाला. सटीक : ।।२।।Page Navigation
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