Book Title: Updeshmala
Author(s): Kirtiyashsuri
Publisher: Sanmarg Prakashan
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साहू कंतार-महाभएसु साहूण कप्पणिज्जं साहूण चेइयाण य साहूणं अप्परई सिढिलो अणायरकओ सिप्पाणि य सत्थाणि य सीउण्हखुप्पिवासं सीएज्ज कयाइ गुरू सीलव्वयाइं जो बहुफलाई सीसायरियकमेण य सीसावेढेण सिरम्मि सीहगिरिसुसीसाणं भई सीहासणे निसन्नं सुंकाईपरिसुद्धे सइ लाभे सुंदरसुकुमालसुहोइएण सुज्झइ जई सुचरणो सुट्ठ वि उज्जममाणं सुट्ट वि जई जयंतो सुतवस्सियाण पूया सुत्ते य इमं भणियं सुद्धं सुसाहुधम्म सुपरिच्छियसम्मत्तो सुबहुं पासत्थजणं सुमिणंतराणुभूयं सुरवइसमं विभूई
[कर्णिकासमन्विता उपदेशमाला] ४१/१३९| सुविणिच्छियएगमई
२३१/२८० २३९/३८४ सुविहियवंदावेंतो
२२९/३८० २४२/३८५ सुस्सूसई सरीरं
३२६/४१४ ३१७/४१२ सुहिओ न चयइ भोए
१७२/३३१ ४७६/४६१ सूरप्पमाणभोई
३५५/४२६ ४२१/४४१| सूल-विस-अहि-विसूइय
४६९/४५९ ११९/२२९ सेसा मिच्छदिट्ठी
५२०/४७२ २४७/३८६ सेसुक्कोसो मज्झिम
३९७/४३५ १८८/३६७ सो उग्गभवसमुद्दे
१६९/३२५ ४१९/४४० सो वि य निययपरक्कम
३८४/४३२ ९१/२०८ सोऊण गई सुकुमालियाए
१८२/३६५ ९३/२०९ सोऊण पगरणमिणं
५३४/४७६ २६६/३९८ सोगं संतावं अद्धिइंच
३१९/४१३ ५२७/४७४ सोग्गइमग्गपईवं
२६५/३९७ ८७/२०२ सोच्चा ते जियलोए
२६०/३९६ ५१३/४७० सोवइ य सव्वराई
३५९/४२७ ७२/१९८ | [ह] ३३३/४१७ हत्थे पाण न खिवे
४८४/४६३ १६५/३२१ हा ! जीव ! पाव भमिहिसि
१९४/३७० ४०९/४३८| हिमवंत-मलय-मंदर
१९९/३७१ ५१५/४७१ | हियमप्पणो करितो
४५४/४५३ २७२/४०१ हीणस्स वि सुद्धपरूगवगस्स
३४८/४२४ ५१०/४७० हीणस्स वि सुद्धपरूवगस्स
५२६/४७४ १९०/३६८ हीला निरोवयारित्तणं
३०५/४१० ४५२/४५३ / होज्ज व न व देहबलं
२९१/४०५

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