Book Title: Updeshmala
Author(s): Kirtiyashsuri
Publisher: Sanmarg Prakashan
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७२
५०८
[कर्णिकासमन्विता उपदेशमाला] पीठ [ श्रेष्ठिपुत्र] १४, १५, २१ | पुष्पोत्तर [विमान]
४४, ३५१ पुट्टिला | [मन्त्रीजानि-देव] २४२, २४३ | पूतना [विद्या]
१७६ पोट्टिला|
पूरण [ कुटुम्बी]
७२ पुण्डरीक [अचल] ३८८, ३८९ पूरण [दशाह]
१७० पुण्डरीक [अध्ययन] १५० पूर्णकलश [ ग्राम]
६२ पुण्डरीक [गणधर] २९, ३१, ३२ पूर्णभद्र [चैत्य]
४५५ पुण्डरीक [महर्षि] ३९३ | पूर्णभद्र [यक्ष ]
७८, २१३ पुण्डरीक [ महापद्मसुत]
१४८, १४९ पूर्णभद्र [ श्रेष्ठी] पुण्डरीका [ दिक्कुमारिका]
१८ पूर्णभद्र [ सार्थवाहपुत्र ] पुण्डरीकिणी [ नगरी]
१२, १४, १४८ पूर्वविदेह [ क्षेत्र] पुण्ड्रपवर्द्धन [ पत्तन]
३५१, ३६१ | पृथिवी [ दिक्कुमारिका ] पुण्ढ़ [ देश]
२१३ | पृथिवी [ द्विजप्रिया ] पुण्य [ सामुद्रवेदिता]
पृथ्वीपाल [ नृप] पुण्यभद्र [ उद्यान] २३१ पृष्ठचम्पा । [नगरी]
६०, १४६ पुण्यसार [ श्रेष्ठिसुत]
२९१, २९२ पृष्ठिचम्पा | पुण्यहीन [ वणिक्पुत्र ]
३०३, ३०४ पेढाल [ग्रामणी] पुरन्दरयशा [ स्कन्दकभगिनी] १४०, १४१ पेढाल [विद्याधर]
३१८, ३१९ पुरिमताल [ उद्यान]
१२५ पेढालक [ उद्यान] पुरिमताल [पुर] २७, ६४, ११४ पेढाल [ ग्राम-पुर]
६७, १७२ पुरुषसिंह [ नृप]
२३९
पेढालि [ सत्यकि] पुरुषसिंह [वीर] ३६ पोट्टिलाचार्य [ आचार्य]
४० पुलिन्द [शिवभक्त ]
३९७, ३९८ पोतन | [पत्तन] ३५, ३७, ३९, ९३, ९४, ९५, ९८ पुलिन्दक
पोतनपुर । पुष्कल [विजय] २८२ पोतनाधिप [प्रसन्नचन्द्रराजा-राजर्षि ]
९९ पुष्कलावती [ विजय] १४, १४८, ३४६ पोलाश [चैत्य]
६७ पुष्यकेतु [ नृप]
३२८ प्रगल्भा [पार्श्वजिनशिष्या ] पुष्पचूल [ अङ्गदेशराट्] ११५, ११६, ११८, १२४/ प्रज्ञप्ति [ विद्या]
२५, ३४५ पुष्पचूल [ राजपुत्र] ३२८, ३२९ प्रणाममित्र [ पुरोहितमित्र ]
३०५, ३०६ पुष्पचूला [ राजपुत्री, साध्वी] ३२६, ३२८, ३२९, ३३० प्रतिरूपा [सुरूपाकन्या ] पुष्पदासी [ दासी]
प्रतीचीनविदेह। [क्षेत्र] पुष्पपुर [ पुर]
प्रत्यग्विदोह पुष्पमाला [ दिक्कुमारिका]
प्रदेशी [ नृप]
२१५, २६२ पुष्पमाला [राज्ञी]
३४६, ३४७, ३४९ प्रदेशी [ श्वेतवीस्वामी] पुष्यमित्र [ द्विज]
प्रद्युम्न [कृष्णपुत्र ]
१८० पुष्पवती [कन्या ] ११८, १२३ प्रद्युम्नसूरि [ सूरि]
४८० पुष्पवती [ राज्ञी-देवी] ३२८, ३२९, ३४६ प्रद्योत [अवन्तीपति]
३४०, ३४१ पुष्पवती [स्त्रीरत्न]
प्रभव [विन्ध्यपुत्र-स्वामी] २८५, २८६, २८८, पुष्पशुक [कीर] ३७९
३१०, ३११ पुष्पसिंह [ पुण्यवतीसुत ] ३४६ | प्रभास [ तीर्थ ]
२४६
३२०
६, ३२

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