Book Title: Updeshmala
Author(s): Kirtiyashsuri
Publisher: Sanmarg Prakashan

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Page 557
________________ ८० २८ ११२ ५१४ किर्णिकासमन्विता उपदेशमाला] विश्वम्भर [ नृप] ३८६ | व्यक्त [ द्विजपुत्र] विष्णु [आयतन] ६४ व्योमगति [विद्या] १५५ विष्णु [कृष्णवासुदेव] १७९, १८२, ३२२ [श] विष्णुकुमार [ राजा] १७२ शकटानन [कानन] विष्णुश्री [ सार्थवाहप्रिया] १०२, १०३ शकटाल | [ मन्त्री] १८४, १८६, १८८ विसाला [ पुरी] ४३२ शकडाल विहल्ल [ चेल्लणापुत्र] २६३, २६४, ३१२ शकटालभू[स्थूलभद्र] १९२ वीतशोका [पुरी] २८२ शकुनि [विद्या] १७६ वीर [चतुर्विंशतितमजिन] ४८,५६, ६३, ८०, ८१, ९८, शङ्ख[ गणराज] १३७, १४६, २०५, २११, २१३, शङ्ख [ध्वज] १७७ २१४, २१५, २१९, २३१, २७९, | शङ्ख [ नेमिपूर्वभव] १७६ २८२, ३११, ३१२, ३१८, ४४७, शङ्ख [ राजा] . १४२ ४५५, ४५६, ४७८ शङ्ख [वाणारसीपति] वीर | [कुविन्द] ३२१, ३२२ शङ्खधमक [ ] २९९, ३०० वीरक शङ्खपुर [ देश-पुर] ३७, ३८, २३८ वीरघोष [ कर्मकृत्] ५३ शतद्वार [ पुर] २१३ वीरमती [ श्रेष्ठिप्रिया ] २८३ शतबल [क्ष्माभृत्] वीरसेन [नृपसेवक] २३८ शतानीक [नृप] ७५, ७७, १३०, १३१, ४४५ वीरसेन [ राजपुत्र] ३८६ शतायुध [ राजा] ३०८ वृषभ । [प्रथमतीर्थकर] ३४, २४५ शत्रुञ्जय [ गिरि] ३१, ३२, ३८८ वृषभप्रभु शत्रुमर्दन [ नृप] ३३ वेगवती [ ] १७३, १७४ शत्रुसेन [ देवकीसूनु-मुनि] १७५, १८१ वेगवती [ नदी] ४९ शमक [ वेत्री] २८ वेणा [शकडालपुत्रिका] १८५ शम्बल [वृषभ] वैक्रिय [लब्धि] १५५ शरवण[ग्राम] वैजयन्त [सुर] १०९, ११० शशी [ जितारिपुत्र] ३९४, ३९५ वैजयन्ती [दिक्कुमारिका] १८ शाखापुर [शाखा] १६३ वैताढ्य [गिरि] १९, १५, १०८, १२२, १७१, शान्तिनाथ [ षोडशतीर्थकर] १४७ २४६, २७८, २९८, ३६० शान्तिसूरि [ सूरि] ४७८ वैताढ्यकुमार [ देव] २४६ शाम्ब [कृष्णपुत्र] २३० वैदर्भी [ रुक्मिपुत्री] १८० शाल [तरु] वैदेहिक [नमि] शाल [नृप-ऋषि] वैभार । [पर्वत] २०५, २०६, २३३, २८३, | शाल [वन] वैभारगिरि ४२०, ४२१ शालार्या [व्यन्तरी] ६४ वैशङ्कायन [ तापस] शालिग्राम [ ग्राम] २०५, २९९ वैशाख [मास] २६, ७९| शालिभद्र[भद्रापुत्र] २०२, २०३, २०४, २०५, २०६ वैशाली [ नगरी] ६३, ६६, ७१, ३१८] शालिशीर्ष [ग्राम] वैश्रवण [तीर्थकर ] १४७ | शासक [सिंहसेनपुत्र] ३६५, ३६६ वैश्रवण [श्रेष्ठी] १२४ | शिग्रु[ तरु] ७९ १४६ ६४ ५३

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