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किर्णिकासमन्विता उपदेशमाला] विश्वम्भर [ नृप]
३८६ | व्यक्त [ द्विजपुत्र] विष्णु [आयतन] ६४ व्योमगति [विद्या]
१५५ विष्णु [कृष्णवासुदेव]
१७९, १८२, ३२२ [श] विष्णुकुमार [ राजा]
१७२ शकटानन [कानन] विष्णुश्री [ सार्थवाहप्रिया] १०२, १०३ शकटाल | [ मन्त्री]
१८४, १८६, १८८ विसाला [ पुरी]
४३२ शकडाल विहल्ल [ चेल्लणापुत्र] २६३, २६४, ३१२ शकटालभू[स्थूलभद्र]
१९२ वीतशोका [पुरी] २८२ शकुनि [विद्या]
१७६ वीर [चतुर्विंशतितमजिन] ४८,५६, ६३, ८०, ८१, ९८, शङ्ख[ गणराज] १३७, १४६, २०५, २११, २१३, शङ्ख [ध्वज]
१७७ २१४, २१५, २१९, २३१, २७९, | शङ्ख [ नेमिपूर्वभव]
१७६ २८२, ३११, ३१२, ३१८, ४४७, शङ्ख [ राजा] .
१४२ ४५५, ४५६, ४७८ शङ्ख [वाणारसीपति] वीर | [कुविन्द] ३२१, ३२२ शङ्खधमक [ ]
२९९, ३०० वीरक
शङ्खपुर [ देश-पुर]
३७, ३८, २३८ वीरघोष [ कर्मकृत्] ५३ शतद्वार [ पुर]
२१३ वीरमती [ श्रेष्ठिप्रिया ]
२८३ शतबल [क्ष्माभृत्] वीरसेन [नृपसेवक]
२३८ शतानीक [नृप] ७५, ७७, १३०, १३१, ४४५ वीरसेन [ राजपुत्र]
३८६ शतायुध [ राजा]
३०८ वृषभ । [प्रथमतीर्थकर] ३४, २४५ शत्रुञ्जय [ गिरि]
३१, ३२, ३८८ वृषभप्रभु
शत्रुमर्दन [ नृप]
३३ वेगवती [ ] १७३, १७४ शत्रुसेन [ देवकीसूनु-मुनि]
१७५, १८१ वेगवती [ नदी] ४९ शमक [ वेत्री]
२८ वेणा [शकडालपुत्रिका]
१८५ शम्बल [वृषभ] वैक्रिय [लब्धि]
१५५ शरवण[ग्राम] वैजयन्त [सुर] १०९, ११० शशी [ जितारिपुत्र]
३९४, ३९५ वैजयन्ती [दिक्कुमारिका] १८ शाखापुर [शाखा]
१६३ वैताढ्य [गिरि] १९, १५, १०८, १२२, १७१, शान्तिनाथ [ षोडशतीर्थकर]
१४७ २४६, २७८, २९८, ३६० शान्तिसूरि [ सूरि]
४७८ वैताढ्यकुमार [ देव] २४६ शाम्ब [कृष्णपुत्र]
२३० वैदर्भी [ रुक्मिपुत्री]
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शाल [तरु] वैदेहिक [नमि]
शाल [नृप-ऋषि] वैभार । [पर्वत] २०५, २०६, २३३, २८३, | शाल [वन] वैभारगिरि ४२०, ४२१ शालार्या [व्यन्तरी]
६४ वैशङ्कायन [ तापस]
शालिग्राम [ ग्राम]
२०५, २९९ वैशाख [मास]
२६, ७९| शालिभद्र[भद्रापुत्र] २०२, २०३, २०४, २०५, २०६ वैशाली [ नगरी]
६३, ६६, ७१, ३१८] शालिशीर्ष [ग्राम] वैश्रवण [तीर्थकर ] १४७ | शासक [सिंहसेनपुत्र]
३६५, ३६६ वैश्रवण [श्रेष्ठी]
१२४ | शिग्रु[ तरु]
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१४६ ६४
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