Book Title: Upasakdashang Sutram
Author(s): Atmaramji Maharaj, Shiv Muni
Publisher: Aatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti

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Page 371
________________ 8. महाशैतक–रेवती का उपसर्ग। महाशतक द्वारा रेवती के भावी नरक गमन का कथन और भगवान् महावीर द्वारा उसे अनुचित बताकर प्रायश्चित करने का आदेश / ___6. नन्दिनीपिता—इनके जीवन में कोई उपसर्ग नहीं हुआ। 10. सालिहीपिया इनके जीवन में कोई उपसर्ग नहीं हुआ। मृत्यु के पश्चात् स्वर्ग में प्राप्त विमानों के नाम१. आनन्द अरुण 2. कामदेव–अरुणाभ 3. चुलनीपिता—अरुणप्रभ. 4. सुरादेव-अरुणकान्त 5. चुल्लशतक–अरुणश्रेष्ठ 6. कुण्डकौलिक अरुणध्वज 7. सद्दालपुत्र-अरुणभूत 8. महाशतक–अरुणावतंसक 6. नंदिनीपिता—अरुणगव 10. सालिहीपिया—अरुणकील पशु-धन की संख्या 1. आनन्द–चार व्रज=४० हजार गौएं। 2. कामदेव-छः व्रज 60 हजार गौएं। 3. चुलनीपिता–आठ व्रज=८० हजार गौएं / 4. सुरादेव—छः व्रज=६० हजार गौएं। 5. चुल्लशतक—छः व्रज=६० हजार गौएं। 6. कुण्डकौलिक छः व्रज–६० हजार गौएं / 7. सद्दालपुत्र—एक व्रज=१० हजार गौएं। 8. महाशतक–आठ व्रज-८० हजार गौएं। 6. नन्दिनीपिता—चार व्रज=४० हजार गौएं। 10. सालिहीपिया–चार व्रज=४० हजार गौएं। सुवर्ण अर्थात् मोहरों की संख्या१. आनन्द–१२ करोड़, तीन क्षेत्रों में विभक्त अर्थात्-१. निधान, 2. व्यापार तथा 3. घर एवं सामान के रूप में, प्रत्येक में चार करोड़। 2. कामदेव–१८ करोड़, प्रत्येक क्षेत्र में छः करोड़। 3. चुलनीपिता–२४ करोड़, प्रत्येक क्षेत्र में आठ करोड़। श्री उपासक दशांग सूत्रम् / 366 / संग्रह-गाथाएं।

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