Book Title: Upasakdashang Sutram
Author(s): Atmaramji Maharaj, Shiv Muni
Publisher: Aatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti

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Page 404
________________ .. साधक श्री शैलेश कुमार जीः एक परिचय साधक श्री शैलेश कुमार जी आचार्य भगवंत पूज्य श्री शिवमुनि जी म.सा. के निर्देशन में धर्म, संस्कृति, स्वाध्याय एवं ध्यान योग साधना का अध्ययन, अध्यापन एवं प्रशिक्षण का कार्य पिछले तेरह वर्षों से करते आ रहे हैं। आचार्यश्री का दृष्टिकोण है कि जिनवाणी का प्रचार-प्रसार देश-विदेश में जन-जन तक सुंदर ढंग से प्रसारित किया जाए एवं एक साधक संघ की स्थापना की जाए जो साधु साध्वियों के निर्देशन में धर्म-ध्यान, संस्कार एवं स्वाध्याय के शुद्ध स्वरूप को जन-जन तक पहुंचा सके। साधक श्री शैलेश कुमार जी का जीवन एक प्रयोगात्मक जीवन है। आप सत्य के साधक हैं। अनुशासनप्रिय व्यक्तित्व हैं। स्वयं अनुशासन में रहते हुए समाज, धर्म एवं साधना में किस प्रकार अनुशासन लाना चाहिए इस हेतु सदैव तत्पर रहते हैं। आपका जीवन खुली किताब की तरह है "जहा अंतो तहा बाहो" जैसे भीतर है वैसे ही बाहर हैं। कथनी और करनी एक है। स्पष्ट वक्ता हैं। जिस किसी भी कार्य को हाथ में लेते हैं तो 100% रुचि लेकर उसे पूर्ण करते हैं। मिलनसारिता, सहृदयता, आत्मीयता आदि गुणों से परिपूर्ण हैं | आप एक उच्च कोटि के साधक हैं। आचार्य भगवंत पूज्य श्री आत्माराम जी म.सा. एवं आचार्य भगवंत पूज्य श्री शिवमुनिजी म. का पूर्ण आशीर्वाद एवं जिन-शासन की आप पर महती कृपा है। आचार्यश्री के निर्देशन में श्रमण संघ और जैन धर्म की जो प्रभावना हो रही है उसमें आपने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया है। आचार्यश्री के वीजन (दृष्टिकोण) को आपने अपना वीजन बना लिया है और ध्यान साधना शिविर के माध्यम से सैकड़ों युवकों को आचार्यश्री के वीजन से जोड़ रहे हैं और एक शुद्ध धर्म की सोसायटी निर्माण करने में पूरा सहयोग दे रहे हैं। आचार्यश्री के चार उद्देश्य हैं—साधना, सेवा, शिक्षण एवं शोध कार्य। इन उद्देश्यों की संपूर्ति हेतु आपने अपना पूरा जीवन समर्पित किया है। जन्म स्थान : मुंबई माता श्रीमती सरला देवी मेहता पिता.. श्री चन्द्रकान्त जी मेहता शिक्षण . आगमों का गहन अध्ययन, . ध्यान एवं योग-साधना में विशेष शोध कार्य / भाषा ज्ञान : गुजराती, हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, प्राकृत आदि भाषाओं का ज्ञान। विशेषताएं : ध्यान साधक, ध्यान साधकों के प्रशिक्षक, आचार्यश्री के साहित्य का संपादन, स्वाध्याय शिविरों का संचालन, बाल संस्कार शिविरों का प्रशिक्षण कार्यक्रम, साथ ही वर्तमान में आचार्यश्री के ध्यान योग साधना शिविरों का संदर संचालन, रेकी साधना के ग्रेड मास्टर तथा साथ ही विविध ध्यान केन्द्रों के व्यवस्थापन में संलग्न एवं जैन गुरुकुल, नैसर्गिक उपचार, मुमुक्षु ट्रेनिंग का प्रशिक्षण इत्यादि अनेक रचनात्मक कार्यक्रमों में रुचिशील / / श्री उपासक दशांग सूत्रम् / 366 / परिशिष्ट

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