Book Title: Upasakdashang Sutram
Author(s): Atmaramji Maharaj, Shiv Muni
Publisher: Aatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti

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Page 385
________________ थीं। वराहमिहिर (550 ई. प.) ने अपने समय के सात धार्मिक सम्प्रदायों में इसका भी उल्लेख किया है। निशीथचूर्णि में 800 पण्डरभिक्खुओं का वर्णन आया है, जिन्हें गोशालक का अनुयायी माना जाता है। शीलाङ्काचार्य (876 ई. प.) ने आजीविकों और दिगम्बरों की एकता का प्रतिपादन करके दोनों को गोशालक का अनुयायी बताया है। बृहज्जातक में टीकाकार भटोत्पल ने उन्हें एकदण्डी बताया है। चेडग—अ. 1 सूत्र 3. (चेटक)—महाराजा चेटक भगवान् महावीर स्वामी के मामा और वैशाली गणतन्त्र के अध्यक्ष थे, जिसमें नौ मल्ली और नौ लिच्छवी गणराज्य सम्मिलित थे। उसकी बहन त्रिशला भगवान् महावीर की माता थी। चेटक की सात कन्याओं का वर्णन जैन-साहित्य में बहुत जगह मिलता है। उनमें से मृगावती, प्रभावती आदि का स्थान सोलह महासतियों में है। वे इस प्रकार हैं। 1. प्रभावती (महासती) वीतभय के राजा उदयन की पत्नी। 2. पद्मावती (महासती) चम्पा के राजा दधिवाहन की रानी। 3. मृगावती (महासती) कौशाम्बी के राजा शतानीक की रानी। 4. शिवा—(महासतो) उज्जैनी के सजा चण्डप्रद्योत की रानी। 5. ज्येष्ठा कुण्ड ग्राम के राजा (महावीर के बड़े भाई) नन्दीवर्धन की रानी / 6. सुज्येष्ठा इसने विवाह नहीं किया और भगवान् महावीर के पास दीक्षा ले ली। 7. चेलना—राजगृह के सम्राट् श्रेणिक की रानी / कहा जाता है कि जब अभयकुमार ने दीक्षा ले ली, तो श्रेणिक ने नन्दा (अभयकुमार की माता) को देवदूष्य भेंट किया। उसी समय हल तथा विहल नामक छोटे पुत्रों को सेचनक नाम का हाथी और एक बहुमूल्य हार दिया। इन दोनों का मूल्य मगध साम्राज्य के बराबर था। जब कूणिक अपने पिता श्रेणिक को कैद करके सिंहासन पर बैठा तो उसने इन दोनों की मांग की। हल और विहल अपने नाना चेटक की शरण में चले गए। परिणाम स्वरूप कूणिक और चेटक का भयंकर युद्ध हुआ जिसमें एक ओर मगध साम्राज्य था और दूसरी ओर वैशाली का गणतन्त्र / भगवती सूत्र में इस लड़ाई का विस्तृत वर्णन है। कूणिक—बौद्ध साहित्य में इसका उल्लेख अजातशत्रु के नाम से मिलता है। यह चेलना का पुत्र था। कहा जाता है जब यह गर्भ में आया तो एक दिन चेलना को अपने पति श्रेणिक का मांस खाने की इच्छा हुई। चेलना ने समझा कि उसका भावी पुत्र पति के लिए अशुभ है। पैदा होते ही उसे नगर के बाहर कचरे के ढेर पर फिंकवा दिया। जब श्रेणिक को यह बात ज्ञात हुई तो वह चेलना पर नाराज हुआ और पुत्र को वापिस मंगवा लिया। जब वह कचरे पर पड़ा था, तो उसके अंगूठे को एक कुक्कुट श्री उपासक दशांग सूत्रम् / 380 / परिशिष्ट

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