Book Title: Tulsi Prajna 1975 07
Author(s): Mahavir Gelada
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 96
________________ १. भूमि प्राप्ति व भवन निर्माण ( निदेशक : श्री बच्छराज जी पगारिया व श्री चम्पालाल जी दूगड) ___ इस वर्ष जैन विश्व भारती के दक्षिण-पश्चिमी कोने की जमीन साढ़े छः बीघा चार बिस्वा ( २६६२० गज ) रुपये १५५००) में खरीद की गई है. जिसका पूग रुपया देकर संस्था के नाम से जमीन का रजिस्ट्रेशन करवा लिया गया है तथा पत्थर की पट्टियां खड़ी करके इस जमीन को संस्था के कब्जे में ले लिया गया है । ग्रन्थागार भवन की फिनिशिंग आदि जो भी कार्य बकाया था उसे पूरा कर लिया गया है। बिजली फिटिंग, पंखों की फिटिंग तथा सेनिटरी फिटिंग आदि का कार्य भी सम्पूर्ण कर लिया गया। जयपुर निवासी श्री मन्नालाल जी सुराणा के अनुदान से अतिथि भरन निर्माण कार्य मात्र ६ महीने में पूरा कर लिया गया। इस भवन निर्माण में कुल व्यय रुपया १,०४,३०३)६१ पैसे हआ है व इसके अलावा करीब दस हजार के जमा खर्च अभी होना शेष है तथा पानी कनेक्शन व बिजली फिटिंग का कार्य अभी बाकी है। इस अनुदान के लिए संस्था की तरफ से दानदाता श्री मन्नालाल जी सुराणा को मैं हार्दिक धन्यवाद देता हूं तथा आशा करता हूं कि भविष्य में भी इनका सहयोग संस्था को बराबर मिलता रहेगा। दो कार्यकर्ता कुटीर व एक गोदाम का निर्माण कार्य भी इसी वर्ष में कराया गया। इसका अनुदान सुजानगढ़ निवासी श्री मोहनलाल जी चोरड़िया ने देना स्वीकार किया है। इसके लिए विश्व भारती की तरफ से उनको हार्दिक धन्यवाद ज्ञापन करता हूं। इस भवन को “झूमर कुटीर" नाम दिया गया है । हमारे लिए यह बड़े गौरव की बात है कि भारत के उपराष्ट्रपति महामहिम बी० डी० जत्ती ने दिनांक २३ माचं ७५ को इन दोनों भवनों का उद्घाटन अपने कर-कमलों से करके हमें कृतार्थ किया जिसकी विस्तृत रिपोर्ट अलग से पेश है। उपराष्ट्रपति जी के कर कमलों से उपी दिन श्री गौतम ज्ञान शाला महिला विद्यापीठ तथा तुलसी अध्यात्म नीड़म् आदि भवनों का शिलान्यास कार्य भी सम्पन्न हुआ। राजस्थान सरकार के वित्त मन्त्री श्री चन्दनमल जी बंद का भी आभार मानता हूं कि इस उद्घाटन अवसर पर पहली पट्टी से विश्व भारती तक की सड़क का निर्माण तत्काल करवा कर न केवल विश्व भारती बल्कि पूरे लाडनू नगर की शोभा बढ़ायी है। अभी कुछ दिनों पहले एक स्थायी माली की नियुक्ति की गयी है। विश्व भारती के रेतीले प्रांगण को हरा-भरा बनवाने के लिए सड़कों के दोनों ओर वृक्ष लगा दिये गये हैं तथा छोटी-मोटी कई क्यारियों में पौधे लगाये जा रहे हैं। ___ राजलदेसर निवासियों के दान से बनने वाले भवन "गौतम ज्ञान शाला" का निर्माण कार्य भी शुरू करवा दिया गया है। इसकी नींवें खुद कर भरी जा चुकी तुलसी प्रज्ञा -३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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