Book Title: Tulsi Prajna 1975 07
Author(s): Mahavir Gelada
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 97
________________ हैं अब आगे का कार्य भी द्रुत गति से चल रहा है। इस वर्ष के अन्त तक सम्पूर्ण भवन बन कर तैयार हो जाने की आशा है । इस विभाग के निदेशक श्री बच्छराज जी पगारिया व श्री चम्पालाल जी दूगड़ बड़ी लगन से अपना बहुमूल्य समय देकर विश्व भारती की सेवा कर रहे हैं। उनके सहायक श्री मांगीलाल जी खटेड व एक चौकीदार सवैतनिक इन कार्यों की देखभाल करते हैं। २. आगम-कोष संग्रह व प्रकाशन विभाग ( निदेशक : श्री मोहनलाल जी बांठिया ) ___ आगमों में प्रतिपादित विषयों पर कोष ( इनसाइक्लोपीडिया ) निर्माणाधीन है। पुद्गल कोष तथा संयुक्त लेश्या कोष ( दिगम्बर-श्वेताम्बर ) का सकलन सम्पूर्ण हो गया है। दोनों कोषों को प्रेस में छपने दे दिया गया है। ध्यान कोष का संकलन भी प्रारम्भ हो गया है। निदेशक महोदय श्री मोहनलाल जी बांठिया के अस्वस्थ रहने से कार्य तीव्र गति से नहीं हो पाया। इतने अस्वस्थ रहते हुए भी वे बड़ी लगन से इस कार्य को पूरा करने की चेष्टा कर रहे हैं। दो-दो सौ रुपये मासिक वेतन पर नियुक्त श्री श्रीचन्द जी चोरडिया तथा श्री अमीरी ठाकुर इनके सहायक हैं। ३. प्रागम व साहित्य प्रकाशन ( निदेशक : श्री श्रीचन्द जी रामपुरिया ) युग-प्रधान आचार्यश्री तुलसी के वाचना प्रमुखत्व में तथा मुनिश्री नथमल जी आदि कई विद्वान संतों के निरन्तर प्रयास से यह कार्य द्रुत गति से आगे बढ़ा है। इस विभाग के निदेशक श्री श्रीचन्द जी रामपुरिया ने अथक परिश्रम करके १५ ग्रन्थों का प्रकाशन बड़ी कुशलता व सूझ बूझ से सम्पन्न किया है। इनमें से १३ ग्रन्थ प्रकाशित होकर आये हैं। २ ग्रन्थ अभी प्रेस में छप रहे हैं। इन ग्रन्थों की छपाई की सभी विद्वानों ने भूरि-भूरि प्रशंसा की है। इस प्रकाशन कार्य में शुरू से अब तक कुल ३,२१,५०५)४५ रुपये व्यय हुए हैं। अब तक कुल १,६३,५६५)०८ रुपये का साहित्य बिक्री हुआ है, जिनमें १,०८,३२८)१३ रुपये प्राप्त हो गये हैं, बकाया रुपये भी धीरेधीरे आ रहे हैं। गत वर्ष में आचार्यप्रवर के दिल्ली चातुर्मास-प्रवास में जैन विश्व भारती द्वारा आयोजित ग्रन्थ विमोचन समारोह बड़े ही भव्य वातावरण में सम्पन्न हुआ है जिसका उद्घाटन भारत के उपराष्ट्रपति महोदय महामहिम श्री बी० डी. जत्ती साहब ने सम्पन्न किया। इसकी भी विस्तृत रिपोर्ट अलग से पेश है। इस विभाग में सवैतनिक कार्य करने वाले हैं - (१) श्री जायसवाल (२) श्री रघुवीर शर्मा (३) श्री मन्ना. लाल जी बोरड़ ( निःशुल्क सेवा )। ४. ग्रन्थालय ( निदेशक : श्री श्रीचन्द जी रामपुरिया व श्री जयचन्दलाल जी कोठारी) इस वर्ष पुस्तकें बहुत कम खरीदी गई हैं। इस बार ३३६ पुस्तकें मूल्य रुपये ४४७७) ४७ की खरीद हुई हैं इसके अलावा आचार्यश्री को भेंट में प्राप्त लगभग १५० पुस्तकें भी विश्व भारती को मिली हैं। पुस्तकालय का अति आव तुलसी प्रज्ञा-३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116