Book Title: Tulsi Prajna 1975 07
Author(s): Mahavir Gelada
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 103
________________ संस्था के सभी परम संरक्षक व हितैषी महानुभावों, सदस्यों व अन्य सभी दानदाताओं का, ट्रष्टों का मैं हार्दिक आभारी हूं जिनके अर्थ सहयोग से संस्था का इतना निर्माण कार्य अब तक हो सका है। संस्था के अध्यक्ष महोदय जिनका मार्गदर्शन सभी कार्यों में बराबर मिलता रहा है, सभी उपाध्यक्षों का, उपमंत्री-द्वय का तथा कोषाध्यक्ष व संचालिका समिति के शेष सदस्यों का भी धन्यवाद ज्ञापित करता हूं, जिन्होंने मुझे निरंतर दो वर्षों तक विश्व भारती की सेवा का मौका दिया। सभी विभागीय निदेशकों व कार्यालय के सभी कर्मचारियों को भी मैं धन्यवाद देता हूं, जिनके कठिन परिश्रम से जैन विश्व भारती की सारी प्रवृत्तियां सुचारु रूप से चल रही हैं । अन्य उन सभी लोगों का भी हृदय से आभार मानता हूँ जिनके नाम का उल्लेख नहीं कर पाया हूं व जिनका सहयोग मुझे बराबर मिलता रहा है । जैन विश्व भारती की तरफ से इस कार्यालय में जो भी त्रुटि रही है, किसी भी व्यक्ति का किसी तरह का विश्व भारती के प्रति कोई आक्षेप या असंतोष रहा है या अन्य किसी कारण से नाराजगी रही है, उसकी सारी जिम्मेवारी अपने ऊपर लेता हूं। जानेअनजाने में मेरे किसी कार्य से किसी के हृदय को ठेस पहुँची है तो उसके लिये भी हार्दिक क्षमा याचना करता हूं। जय तुलसी ! जय विश्व भारती ! सम्पतराय भूतोडिया, मंत्री जैन विश्व भारती, लाडनू (राज.) जैन विश्व भारती, लाडनू के बढ़ते चरण में आप भी सहयोग कर सकते हैं। - सदस्य बने-१. परम संरक्षक २. संरक्षक ३. हितैषी A भवन निर्माण में आर्थिक अनुदान करें। प्रागम प्रादि प्रकाशन योजना में सहयोग करें। A 'तुलसी प्रज्ञा' त्रैमासिक अनुसंधान पत्रिका के सदस्य बने। आजीवन सदस्य २०१ रु०, वार्षिक शुल्क २२ रु०, एक अंक का ६ रु०। - अन्तर्राष्ट्रीय विश्व मैत्री सम्मेलन को योजना में आर्थिक अनुदान करें। A साधना में समर्पित करें; आदि । तुलसी प्रज्ञा-३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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