Book Title: Tulsi Prajna 1975 07
Author(s): Mahavir Gelada
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 104
________________ विश्व मैत्री एवं विश्व-शांति के सन्दर्भ में अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन भगवान महावीर का २५००वां निर्वाण महोत्सव समग्र विश्व के लिए एक ऐतिहासिक अवसर है । ऐसे ऐतिहासिक अवसर ही महान् पुरुषों की वाणी को समग्र विश्व में फैलाकर समग्र मानव जाति के कल्याणार्थ उसका उपयोग करने के लिए उपयुक्त होते हैं । भगवान महावीर ने जिन अहिंसा, अपरिग्रह और अनेकान्त के सिद्धान्तों का सन्देश २५०० वर्ष पूर्व जगत् को दिया था उनकी वर्तमान विश्व की परिस्थितियों के सन्दर्भ में कितनी अधिक आवश्यकता और उपयोगिता है, यह किसी से छिपा नहीं है । अहिंसा के आधार पर विश्व-मंत्री, अनेकान्त के आधार पर सह अस्तित्व और अपरिग्रह के आधार पर शोषण-संग्रह विहीन व्यवस्था की स्थापना की जा सकती है । हिंसक शस्त्रास्त्रों की विभीषिका से त्रस्त मानव जाति को त्राण देकर इन सिद्धान्तों के आधार पर विश्व-शान्ति की स्थापना की जा सकती है । इस कार्य को मूर्त रूप देने की दृष्टि से युगप्रधान आचार्य श्री तुलसी ने अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में एक विशेष कार्यक्रम की घोषणा की है। आचार्य प्रवर द्वारा घोषित इस कार्यक्रम को क्रियान्वित करने की दृष्टि से जैन विश्व भारती के अन्तर्गत विदेश सम्पर्क विभाग की स्थापना की गई है तथा एक विराट् अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन की योजना बनाई गई है । तेरापंथ समाज के नवोदित युवा कार्यकर्ता एवं इण्टरनेशनल जेसीज के भारत के उपाध्यक्ष श्री सुमेर फूल फगर जैन ( बम्बई ) इसके निदेशक मनोनीत किए गए हैं। योजना एवं गतिविधि ___ इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन की रूपरेखा पर विचार-विनिमय करने की दृष्टि से पिछले चार महीनों से कुछ बैठकें आचार्य श्री तुलसी के सान्निध्य में जयपुर में आयोजित की गई, जिनमें पर्याप्त विचार-विनिमय के पश्चात् निम्नलिखित निर्णय लिए गए हैं -- - (१) विश्व मंत्री एवं शांति पर एक बृहद् अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन आचार्य श्री तुलसी के सान्निध्य में आगामी वर्ष ( १९७६ ) के अन्त में भारत की राजधानी में किया जाय । तुलसी प्रज्ञा-३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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