Book Title: Trishashti Shalaka Purush Charitra Parv 1 2
Author(s): Krushnalal Varma
Publisher: Godiji Jain Temple Mumbai

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Page 834
________________ ___१२] त्रिपष्टि शलाका पुन्प-चरित्र - ४८-पुष्पशकटिका [फूलोंके न्या ने, पालखियाँ वगैरा बनाने की कला ४६-निमित्तज्ञान [७२, शकुनमत (३२ से ४२ तक ५०-यंत्र मातृका [ सजीव या की कलायें) ४८. चार निर्जीव यंत्रोंकी रचना] १. प्रतिचार] ५१-वारणमातृका स्मरणशक्ति याद रखने की कला; ५२-संपाच्य [ कोई आदमी कविता बोलता हो उसके साथही दूसरा आदमीजिसे वह कविता न पाती हो-भी एकाध अगला शब्द सुनकर वह ऋविता बोल सके ऐसीकला जैनशाखों में इसको पदानुसारिणी बुद्धि कहते हैं। ५३. मानसी कान्यक्रियापन, उत्पल वगरहकी आकृतिवाले श्लोकोंमें खाली जगहों को भरना] ५४-अभिधानकोश [शब्दकोश कान्नान ५५-छंदोविज्ञान २१. पायो २३. मागघिका २४. गाथा २५. गीति २६. श्लोक - -

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