Book Title: Trishashti Shalaka Purush Charitra Parv 1 2
Author(s): Krushnalal Varma
Publisher: Godiji Jain Temple Mumbai

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Page 837
________________ - टिप्पणियाँ . . प्रयोगात्म शिक्षा दी जाती थी। इसमें खास ध्यान देनेकी बात यह है कि पुराने लोग शिक्षा देते समय उन उन विषयोंके प्रयोगोंको भूलते नहीं थे। और इन कलाओं की योजना इस तरह की गई थी कि जिससे मनुष्योंकी ज्ञानेन्द्रियों और कर्मेन्द्रियों का विकास समान रूपसे होता था। इससे यह भी मालूम होता है कि पुराने जमानेमें केवल एकांगी-मात्र मानसिक-ज्ञानही नहीं दिया जाता था। ... .[अध्यापक वेचरदासजी द्वारा अनुवादित 'भगवान महावीरनी धर्मकथाओ' नामक पुस्तकसे। ४. काल कालका व्यवहार मनुष्य-लोकमें ही होता है । घड़ी, दिन, रात वगैरा भेद सूरज और चाँद आदिकी गतिके आधार __ पर होता है। - जम्बूद्वीप थालीकी तरह गोल है । लवण समुद्र उसे कड़े 'की तरह लपेटे हुए है। इसी तरह लवणसमुद्रको धातकीखंड "और धातकीखंडको कालोदधि समुद्र और इसको पुष्कराई घेरे • हुए हैं। यही मनुष्यलोक है। इसमें ढाई द्वीप आर दो समुद्र हैं। इसे ढाई द्वीप भी कहते हैं और यह समयक्षेत्र के नामसे भी पहचाना जाता है। मनुष्यलोकमें कुल १३२ चाँद और सूरज है। (जंबूद्वीपमें दो दो, लवणसमुद्र में चार चार, धातकी खंडमें चारह बारह, कालोदधि समुद्र में बयालीस बयालीस, और पुष्कराद्ध में यहत्तर वहत्तर । प्रत्येक चाँदके परिवार में बीस नक्षत्र, अठासी ग्रह और छासठ हजार नौ सौ पचहत्तर कोटा-कोटि तारे है]

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