Book Title: Trishashti Shalaka Purush Charitra Parv 1 2
Author(s): Krushnalal Varma
Publisher: Godiji Jain Temple Mumbai

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Page 856
________________ ३४ त्रिषष्टि शलाका पुरुष-चरित्र द्वंद्वयुद्ध ४१३ .. पल्योपम (देखो टि नं.४).... द्वादशांगी (देखो पीछे 'गणि पादपोपगमन ४९१ .. . पिटक') पुरुषार्थ (धर्म, अर्थ, काम, ध्यान-देखो टिप्पणी नं०६ मोन) - धर्म (चार प्रकारके) २४ पुष्करार्द्ध ६३२ . धर्मचक्र २४८ पूर्व-प्राचीन चौदह जैन. शास्त्र धर्मव्यान ६३६ [उत्पाद, अग्रायणीय, वीयं धर्मोपग्रह दान २७ प्रवाद, अस्तिनास्तिप्रवाद, घातकी खंड ६५६ नानप्रवाद, सत्यप्रवाद, नय-१. एक ही वस्तु के विषय आत्मप्रवाद, कर्मप्रवाद, में भिन्न भिन्न दृष्टिविंदाओंसे प्रत्याख्यान-प्रवाद, विद्या संपन्न होने वाले भिन्न प्रवाद, कल्याणक, प्राणामिन्न अंमिप्रायोंको 'नया वाय, क्रियाविशाल, लोककहते हैं। २. जिस ज्ञान बिंदुसार] . में उद्देश्य और विधेय रूप पौषध व्रत अष्टमी, चतुर्दशी, से वस्तु भासित होती है पूर्णिमा या दूसरी किसी । उसको उस वानको-नय भी तिथि के दिन उपवास, कहते हैं। कर,शरीर विभूयाका.त्याग, नरकावास ६४२ कर धर्मजागरणमें तत्पर निधि ३३१,७१० निर्वाणकल्याणक ४८६६ प्रतिमा देटि नं. ७ नीति १३१, २०३ अतिवासुदेव १७३ परिव्राजक ४३५ परिसह, ५३७ पाप्ति २५ वाचका-बान बलदेव ४७२. बलि

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