Book Title: Tirthankar Mahavira Smruti Granth Author(s): Ravindra Malav Publisher: Jivaji Vishwavidyalaya Gwalior View full book textPage 7
________________ 93 99 5. जैन दर्शन में अनुमान परिभाषा 6. जैन संघ और सम्प्रदाय भगवान महावीर का अपरिग्रह, एक दार्शनिक विवेचन 8. जैन कर्म सिद्धान्त 9. जैन दर्शन में मोक्ष का स्वरूप, एक तुलनात्मक अध्ययन -डा.दरवारी लाल कोठिया -डा. भागचन्द्र जैन भास्कर -प्रो. श्रीचन्द्र जैन -श्यामलाल पाण्डवीय - डा. सागरमल जैन . 135 141 पंचम खण्ड जैन संस्कृति एवम् कला, (153-214) 1. जैन पुरातत्व एवम् कला -मधुसूदन नरहरि देशपाण्डे 155 2. जैन मूर्तिशास्त्र (मध्यप्रदेश की जैन मूर्तिकला के सन्दर्भ में) -प्रो. कृष्णदत्त वाजपेयी 168 3. जैन धर्म और संगीत -गुलाबचन्द्र जैन 171 भारतीय शिल्पकला के विकास में जैन शिल्पकला का योगदान-डा. शिवकुमार नामदेव 181 5. जैन चित्रकला -श्रीमती उषाकिरण जैन 193 6. Contribution of Mahavira To Indian Culture -Dr. Kailash Chandra Jain 200 7. Jaina Images And Their Predominant Styles : Dahala And South Kosala Region -Dr. R. N. Misra 205 षष्टम् खण्ड जैन साहित्य (215-270) 217 224 231 237 1. जैन साहित्य -अगरचन्द नाहटा 2. मध्यकालीन हिन्दी साहित्य में वर्णित सदगुरू-सत्संग की महत्ता-डा. श्रीमती पुष्पलता जैन 3. जैन साहित्य एवं संस्कृति के विकास में भट्टारकों का योगदान -डा. कस्तूरचन्द कासलीवाल 4. जैन साहित्य के आद्य पुरुस्कर्ता ----डा. ज्योतिप्रसाद जैन प्राचीन जैन राम साहित्य में सीता -डा. लक्ष्मीनारायण दुबे जैन आचार्यों का संस्कृत काव्य शास्त्र में योगदान ----डा. अमरनाथ पाण्डेय 7. राजस्थान के कवि- "ठकुरसी" -पं. परमानन्द जैन शास्त्री 8. महापंडित टोडरमल -डा. हुकुमचन्द्र भारिल्ल 241 249 256 265 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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