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प्राक्कथन
मानव सभ्यता के उदयकाल से ही भारत की पुण्यभूमि महान आदर्शों की प्रतिपालक रही है। सिन्धु घाटी की सभ्यता के प्रतीक, प्रतिमाएँ और अवशेष भारत की महान् आध्यात्मिक परम्पराओं के प्रत्यक्ष साक्षी हैं । वे इस बात के भी प्रत्यक्ष प्रमाण हैं कि भारतीय चिन्तन ने सदैव, भौतिक तत्वों पर आत्मिक तत्वों की श्रेष्ठता, पर बल दिया है तथा वह आध्यात्मिक पक्ष की ओर अधिक केन्द्रित रहा है।
यही कारण है कि आज से तीन सहस्त्राब्दि पूर्व जब मानव चिन्तन प्राकृतिक अध्ययन से हटकर मानवीय चिन्तन की ओर अग्रसर हुआ और विश्व क्षितिज पर यूनान में पीथागोरस, सुकरात और अफलातून; जूडिया में पैगम्बरों की परम्परा; चीन में लाओत्से और कन्फ्यूशस व ईरान में जरतुश्त का उदय हुआ; तब भारत में तीर्थंकर महावीर, महात्मा गौतम बुद्ध तथा उपनिषदों के रचयिता पावन ऋषियों का उदय हआ, जिन्होंने न
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