Book Title: Tattvarthamuktakalap and Sarvarthasiddhi
Author(s): Vedantacharya
Publisher: Srinivasgopalacharya

View full book text
Previous | Next

Page 10
________________ एतत्संपुटस्थनायकसरस्थप्रतिपाद्यविषय सूचनी 1 कारणवाक्यश्रूयमाणसदादिपदानां जगच्छरीरकब्रह्म परत्वसाधनम् . 2 चेतनसामान्य - प्रकृति - मुक्तात्मान्यतमस्य जगत्कर्तृता स्यादित्याशङ्काया निरासः. 3 सर्वसमस्येश्वरस्य स्वान्योभयार्थतया यथाजीवकर्म 7 जगत्त्रष्टृत्वकथनम् 4 यथाजीवकर्म निग्रहीतुर्भगवतः क्रोधस्यापि तत्प्रीत्याधायकतासमर्थनम् . 5 ब्रह्मणोऽवाप्तकामत्वोक्तेः काम्याभावपरत्वतात्पर्यकतानिरास:. 6 सहकारापेक्षत्वेऽपि भगवतस्स्वातन्त्र्यनिर्वाहः, तस्योपादानत्वकर्तृत्वादिसमर्थनं च. विषयः 11 अप्रत्यक्ष ईश्वरः कथमङ्गीकार्य इति चार्वाकशङ्काया निराकरणम्. 8 अनुमानविशेषैः कापिलागमेन च निरस्ताया ब्रह्मजगत्कारणतायाः श्रौतत्वेन समर्थनम् . 9 स्वयंप्रकाशतया सिद्धस्यापि भगवतो वाच्यत्ववेद्य त्वयोस्समर्थनम 10 ब्रह्मणो वाङ्मनसगोचरत्वेऽपि तद्गोचरताप्रत्यायक श्रुतेस्तात्पर्यकथनम् . ब्रह्मणोऽवाच्यत्वावेद्यत्वसाधकानुमानस्य णम्. vii पुटसंख्या 1-3 4- 7 8-9 10---12 13-14 15-17 18-19 20-22 23-24 25-26 निराकर- 27-28

Loading...

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 ... 426