Book Title: Tattvarthamuktakalap and Sarvarthasiddhi
Author(s): Vedantacharya
Publisher: Srinivasgopalacharya
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विषयः
पुटसख्या 58 ब्रह्मणस्सदोषनिर्दोषावस्थाद्वयकल्पननिरसनपूर्वकं जीवे. 168-173
श्वरभेदसमर्थनम् . परमसाम्यश्रुतिनिर्वाहश्च. 59 भावरूपाज्ञानस्य अतिसिद्धत्ववादिमतनिराकरणम् ... 174 60 श्रुत्यादिगतमायाविद्यादिशब्दानां तत्तत्प्राकरणिकार्थ- 175-181
विशेषव्यवस्थापनम् . 61 निर्दोषश्रुत्यविरोधार्थ कल्पितस्य ब्रह्मजीवानुबन्धि- 182-184
मायाविद्याविभागपक्षस्य निरासः. 62 मिथ्याभूतप्रपञ्चोपादानत्वनिर्वाहाथं ब्रह्मण्यविद्याकल्प- 185-190
नमिति मतस्य लोकश्रुतिप्रक्रियाविरोधोद्भावनेन
निरास . 63 कार्यकारणैकरूप्यकल्पनामूलभूतस्य प्रकृतिविकृत्यैक- 191--192
___रूप्यनियमस्य निरसनम् . 64 प्रपञ्चमिथ्यात्वसाधकपरोक्तदृश्यत्वहेतावसिद्धयादिदो-- 193 198
षोद्भावनम् . 65 सत्येतरस्य मिथ्याशब्दार्थत्वकल्पने व्याघातादिप्रदर्शनम् 199- 202 66 मिथ्यात्वसाधकानुमाने दृष्टान्तीभूतशुक्तिरूप्यशब्दा- 203
र्थस्य दुर्निरूपत्वापादनेन व्याप्तयसिद्धथापादनम्. 67 दृश्यत्वहेतुकानुमाने साध्यस्य बहुधा विकल्पनपूर्वकं 204-206
निरसनम् . 68 यथाकथञ्चित्तत्र साध्यनिर्वाहेऽपि दृश्यत्वहेतोरप्रयोज. 207
कत्वाद्यापादनम् . 69 मिथ्यात्वानुमाने बाधस्य साध्यत्वे सिद्धसाध्यत्वाद्या- 208-211
पादनम् . 70 सदसद्विलक्षणत्वरूपमिथ्यात्वस्य साध्यत्वे तत्स्वरूपं 212-216
सप्तधा विकल्प्य निरसनम् . 71 साध्यभूतमिथ्यात्वस्य स्वरूपत इव धर्मतोऽपि विक- 217--219
ल्पासहत्वप्रपञ्चनम् . 72 साध्यवदृश्यत्वहेतोरपि विकल्पासहत्वप्रतिपादनम् 219-220 73 दृश्यत्वहेतोः स्वरूपासिद्धयाद्यापादनेन दूषणम् 2:21-222 74 मिथ्यालिङ्गेन जगतो मिथ्यात्वसाधने ब्रह्मणोऽपि मि- 223--224
थ्यात्वप्रसङ्गाद्यापादनम् .

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