Book Title: Tattvarthamuktakalap and Sarvarthasiddhi
Author(s): Vedantacharya
Publisher: Srinivasgopalacharya

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Page 13
________________ X विषय: पुटसंख्या 12 नैयायिकाभिमतानामीश्वरसाधकानां सर्वेषामपि हेतूनां 109 112 स्थाली पुलाकनीत्या निरासः. 43 ईश्वरस्य शास्त्रैकवैद्यत्वसाधनफलकथनम्, ईश्वरानु मानदूषणेऽपि शास्त्राविरोधकथनं च. 11 ईश्वरास्यानुमानिकतानिरासे प्रसक्तस्य शास्त्रयोन्यधि - 114--115 करणसांख्याधिकरणविरोधस्य निस्तारः. 15 ईश्वरस्य जगदुपादानत्वे निर्विकारश्रुत्यविरोधौचित्ययो - 116 - 119 समर्थनम्. 16 ब्रह्मण्यन्यैरपि किंचिद्विशेषणाभ्युपगमावश्यंभावेन 120-121 शास्त्रानुमतचिदचिद्वैशिष्टयाभ्युपगमस्यैवोचितत्वा भिधानम् 17 चिदचिदीश्वरविकारवब्रह्मवादिमतस्य निराकरणम् 18 सञ्चित्सुखस्वरूपब्रह्मणस्सर्वत्रानुवृत्तिरिति 113 122-124 मतस्य 125-129 निरसनम्. 19 अव्यक्तवत् ब्रह्मणः स्वलीलार्थं जीवादिपरिणाम इति 130-132 भेदाभेदवादिमतस्य निरासः. 50 अनाद्यनत्यन्तमिन्नजडोपाधिप्रयुक्तब्रह्मपरिणामवादिजैन- 133 138 गन्धिभास्करपक्षस्य विकल्पषट्कोद्भावनपूर्वकं नि रसनम् 51 निरस्तसमस्तभेदकूटस्थ विज्ञानैकरसं ब्रह्मैवाविद्यातिरो 139 140 हितं प्रपञ्चात्मना विवर्तत इति सौगतगन्धिमतस्य निरासः . 52 ब्रह्मणोऽविद्यया तिरोधानस्य तदधीनस्य विक्षेपस्याप्य 141-145 निष्टापत्त्या दूषणम् . 53 ब्रह्मणोऽविद्यादर्शनस्य दोषनिरपेक्षत्वसापेक्षत्वपक्ष- 146 - 149 astrनिष्टप्रसक्तथा निरसनम् . 51 भावरूपाज्ञानवादनिरसनम् 55 पञ्चपादिकाविवरणोक्तभावरूपाज्ञानवादस्य निरास. .... 150-152 153-157 56 चित्सुखोक्तभावरूपाज्ञानानुमाननिराकरणम् 158-163 57 ब्रह्माज्ञानकल्पकमते निर्विकारत्वनिरवद्यत्वादिबोधक- 163 - 167 श्रुतिविरोधापादनम् . ****

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