Book Title: Tattvarthamuktakalap and Sarvarthasiddhi
Author(s): Vedantacharya
Publisher: Srinivasgopalacharya
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विषयः
पुटसंख्या 75 जगत्सत्यत्ववादिमते परैरापादिताया दृग्दृश्यसम्बन्धा- 225-228
नुपपत्तेर्निरसनम् . 76 जगन्मिथ्यात्वसाधकव्यावर्तमानत्वहेतो. कुतश्चिद्भिन्न- 2240-235
त्व बाध्यत्व-नश्वरत्व-कदाचिदप्रकाशमानत्व-पर - प्रकाश्यत्व-किञ्चिद्देशव्यावृत्तत्व निखिलदेशव्या .
वृत्तत्वादिरूपत्वासंभवोपपादनपूर्वकं निरसनम् . 77 जगन्मिथ्यात्वसाधककालविशेषसत्त्वरूपहेतोराभास-- 236-241
त्वादिनिरूपणन निरसनम्. 78 प्रत्यक्षानुमानविरुद्धस्य जगन्मिथ्यात्वकल्पनस्य आम्ना- 242-247
यैरप्यशक्यत्वकथनपुरस्सरं 'ब्रह्मैवेदं' 'नेह नानास्ति' इत्यादिश्रुतीनामब्रह्मात्मकजगन्निषेधा
दितात्पर्यकत्वोपपादनम्. 79 प्रत्यक्षस्य प्रत्यक्षान्तरेणेवागमबाध्यत्वसंभवादागमा- 247-250
ज्जगतो मिथ्यात्वकल्पनं स्यादिति परकीयाशङ्कानिराकरणार्थ परोक्षभूतानुमानागमादिमिर्बाध्या
बाध्यप्रत्यक्षविवेचनम् . 80 प्रत्यक्षस्य तन्मूलकानुमानस्य च दोषमूलत्वादागम- 251-255
बाध्यत्वं स्यादिति मते अनैकान्तिकत्वातिप्रसङ्गान्योन्याश्रयचक्रकाद्यापादनम्, तन्मते शास्त्रस्यापि
दोषमूलकत्वाद्वैतासाधकत्वयोः प्रसञ्जनम्. 81 सत्यपि दोषसाम्ये परत्वमात्रेण शास्त्रस्य प्रत्यक्षबाध- 256-258
कत्वकल्पनेऽतिप्रसङ्गापादनम् . 82 नियतपौर्वापर्यकस्थले परप्राबल्यानुग्राहकापच्छेदन्या- 259-262
यायस्याप्रवृत्त्या भेदबोधकपूर्वश्रुतीनामेव प्राबल्या
दभेदश्रुतीनां भेदनिषेधतात्पर्यकत्वाभावसाधनम्. 83 भेदस्य प्रत्यक्षत्वात्तस्य शास्त्राविषयत्वमिति मतस्य 263-266
निरासार्थ भेदसामान्यस्य शास्त्रविषयत्वसमर्थनम् . 84 जगन्मिथ्यात्ववादिमते वेदतत्प्रामाण्यबोद्धबुद्धयादी- 267---268
नामपि मिथ्यात्वात्तेषां यादवप्रकाशोत्तरीत्या बौद्धसाम्यस्यापादनम् .

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