Book Title: Tattvarthamuktakalap and Sarvarthasiddhi
Author(s): Vedantacharya
Publisher: Srinivasgopalacharya
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xiii
विषयः
पुटसंख्या 85 जगन्मिथ्यात्ववादिनां निर्णये बाधकानां विकल्पाना- 269-272
मापादनम्. तन्मते वेदमोक्षस्वयंप्रकाशत्वादिषु
विकल्पदौःस्थ्यापादनं च. 86 नित्यविभूतिसद्भावग्राहकाणां प्रमाणानां संग्रहणम् 273-274 87 अव्यक्ततमोमध्यगेश्वरमुक्तभोगस्थानकल्पकयादवप्रका- 275-276
शमतस्य निरास.. 88 वैकुण्ठस्याण्डान्तर्वर्तित्ववादनिरसनपुरस्सरं तत्र नित्या- 277
नित्यविभागोपपत्तिकथनम् . 89 सृष्टिप्राक्कालोत्तरकालयोरेकत्वबहुत्वश्रवणस्य नामरू- 278-279
पाविभागविभागतात्पर्यकत्वेन नित्यस्थानसत्त्वेऽ.
नुपपत्त्यभावोपपादनम् . 90 नित्यविभूतेजडत्व-स्वयंप्रकाशत्वपक्षयोरुपपादनम् ... 280-282 91 मुक्तनित्येश्वरस्वयंप्रकाशत्ववन्नित्यविभूतेरपि स्वयंप्रका- 283-285
शत्वेऽनुपपत्तथभावसाधनम्. 92 अप्राकृतस्थानादेर्नित्यत्वे अनुपपत्त्यभावसमर्थनम् 286-287 93 परविग्रहस्य नित्यत्वसमर्थनम् , अवतारविग्रहाणामै- 288--290
च्छिकत्वोपपादनं च. 94 योगविशेषसक्तानां चित्तालम्बनसिद्धयर्थमीश्वरस्य 291-293
दिव्यविग्रहपरिग्रहवदस्त्रभूषगादिमत्त्वस्याप्युपपत्त्या
प्रामाणिकत्वसमर्थनम्. 95 भगवद्विग्रहस्थानायुधादिविधिनिषेधयोः श्रौतहिंसा- 294--295
विधिनिषेधयोरिव विषयभेदादविरोधसमर्थनम् 96 देवतासामान्यस्य शरीर-हविर्भक्षण-युगपत्सांनिध्य- 296-298
प्रीति-फलदातृत्वनिराकर्तृमीमांसकैकदेशिमतस्य सूत्रकृदनभिमतत्वोपपादनपूर्वकं विध्पर्थवादमन्त्रस्मृतीतिहासपुराणाद्यनुमतस्य विग्रहादिमत्त्वस्य
समर्थनम्. 97 परव्यूहविभवार्चान्तर्याम्यात्मकभगवद्रूपपञ्चकेऽपि पूर्ण- 299-301
पाड्गुण्यवत्वसमर्थनपूर्वकं सङ्कर्षणादिव्यूहत्रिके

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