Book Title: Taporatna Mahodadhi
Author(s): Bhaktivijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 8
________________ *प्रस्तावना तमोरत्नमहोदधि KISARGAHRAICCAREECIENCE भागमा ८४ प्रकारना अन्य ग्रंथोमां जणावेला मळी १६२ विधिविधान साथे आपेला छे, अने तेने माटे आचारदिनकरादि जे जे ग्रंथोनो आधार लेवामां आव्यो छे ते, तेमज आगाढ अने अनागाढ बनेमांथी कयो तप कया प्रकारनो छे ते पण तपना नामनी विधि साथे जणावेल छे. प्रथम भागमा जणावेल ६ अथवा ७ तपो जिनोक्त छ एम आचारदिनकरमा कहेल छ, प्रथम भागमा आवेल ८८ तपो पैकी केटलाक आचारदिनकर सिवायना अन्य ग्रंथोमां पण छे.जे अमोए ते ते तपोना नाम साथे जणाव्यु | छे. बीजा भागमा आवेला तपो उपरोक्त ग्रंथमां नथी परंतु तेमांना ठेल्ला १२ तपो विधिप्रपा ग्रंथमाथी लीधेला छे. अने विधि प्रपामा ते सिवाय वीजा तपो पण बताटेला छे ते उपर आवी गयेला छे. बने विभागमा केटलाक तपो अने तेना गुणणां बहु ज विस्तारथी आपवामां आवेला छे. प्रथम भागमा आवेल अष्ट कर्मसूदन, एक सोचीश कल्याणक, एकसोसित्तेर जिन-महाधन अने अक्षयनिधि तप वगेरे तथा बीजा विभागना वीश स्थानक,अष्टकर्म, उत्तरप्रकृति, पीस्ताळीश आगम, छन्नु जिन ओळी तप अने नवपद ओळी तप इत्यादि तपो विस्तारथी आपवामां आवेल छे तेमज साथीआ, काउसम्ग, खमासमण विगेरे सांकेतिक शब्दथी सूचव्युं छे. आ ग्रंथमा तपनो महिमा केटलो सुंदर छे ते बतायवा आचारदिनकरमाथी ३३ श्लोको सिंदूरप्रकरमाथी ४ श्लोक अने तप कुलकमांथी एक गाथा अर्थ साथे पाछळ आपवामां आवेल छे. जे वांचता आल्हाद उत्पन थाय तेवू छे. अने तपने लगती बीजी पण जाणवा जेवी हकीकत साथे बतावेल * छे. सेनप्रश्नादिमांथी तपने लगता प्रश्नोत्तरो तेज रीते जणावेल छ के जे खास उपयोगी छे. दरेक तपनी अनुक्रमणिका छेवटे आपी अने ग्रंथनी शरुपात करवामां आवीछे. ॐICROSORE ॥६॥ Jain Education International For Private Personal Use Only

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