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बृहत् सिंहनिक्रीडित
तप.
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तपोरन. दशाष्टनवसप्तभिर्गजरसाश्ववाणै रसैश्चतुर्विशिखवहिभियुगभुजत्रिभूद्वीन्दुभिः ॥ २॥ महोदधि उपवासैः क्रमाकार्या पारणा अन्तरान्तरा । सिंहनिःक्रीडितं नाम बृहत्संजायते तपः ॥३॥ ॥ ३७॥ आ तप पण पूर्वनी जेवो ज छे, परंतु अहीं तपस्याना दिवसो अधिक छे. ते आ प्रमाणे-प्रथम एक उपवास उपर पारj,
पछी बे उपवास उपर पार[, पछी एक उपवास, पछी त्रण, पछी चे, पछी चार, पछी त्रण, पठी पांच, पछी चार, पछी छ, पछी पांच, पछी सात, पछी छ, पछी आठ, पछी सात, पछी नव, पछी आठ, पछी दश, पछी नव, पछी अगियार, पछी दश, पछी बार, पछी अगियार, पछी तेर, पछी बार, पछी चौद, पछी तेर, पछी पंदर, पछी चौद, पछी सोळ अने पछी पंदर उपवास करीने पारणुं करवू. त्यारपछी पश्चानुपूर्वीए आ प्रमाणे लेवु-प्रथम सोळ उपवास पछी चौद, पछी पंदर, पछी तेर, पछी चौद, पछी बार, पछी तेर, पछी अगियार, पछी बार, पछी दश, पछी अगियार, पछी नव, पछी दश, पछी आठ, पछी नव, पछी सात, पछी आठ, पछी छ, पछी सात, पछी पांच, पछी छ, पछी सात, पछी पांच, पछी छ, पछी चार, पछी पांच, पछी त्रण, पछी चार, पछी थे, पछी त्रण, पछी एक, पछी बे अने छेवट एक उपवास करी पारj कर(ए रीते दरेकने अंते पारणु करवू. आ रीते कुल उपवासना दिवसो ४९७ तश पारणाना दिवसो ६१ मळी कुल ५५८ दिवसे एक वर्ष छ मास
ने अढार दिवसे आ तप पूरो थाय छे.) (आ तप पण चार परिपाटीए करतां छ वर्ष, वे मास अने बार दिवसे पूरो थाय छे लए मतांतर छ. ) उद्यापनमा मोटा स्नात्रपूर्वक पूजा भणावीने उपवासनी संख्या प्रमाणे पुष्प, फळ तथा मोदकादिक नैवेद्य
अर्पण करवु. साधुने अन्नादिकनुं दान देवं, संघपूजा, संघवात्सल्य करवू. आ तपनुं फळ उपशमश्रेणीनी प्राप्तिरूप छे. आ
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॥३७॥
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