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तपोरनमहोदधि
वृहत् सिंहनिाक्रीटित
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कुर्वाणानां समन्तादशनमिति तपः सिंहनिःक्रीडितं स्यात् ॥२॥ जेम सिंह चालता चालतां पाछळनो भाग जुए छे, ते ज प्रमाणे सिंहनिःक्रीडित तप कहेलुं छे. तेनां प्रथम एक उपवास उपर पारj, पछी वे उपवास उपर पारj, पछी एक उपवास उपर-पारj, पछी त्रण उपवास उपर पारj, पछी वे उपवास, पछी चार उपवास, पछी त्रण, पछी पांच, पछी चार, पडी छ, पछी पांच, पछी सात, पछी छ, पछी आठ, पछी सात, पछी नव, पछी आठ ए प्रमाणे उपवास करी पार[ करवू. पछी पश्चानुपूर्वीए लेवू एटले के प्रथम नव उपवास, पछी सात, पछी आठ, पछी छ, पछी सात, पछी पांच, पछी छ, पछी चार, पछी पांच, पछी त्रण, पछी चार, पछी बे, पछी त्रण, पछी एक, पछी ये अने पछी एक उपवास करी पार| करवं. आ तपमा उपवासना दिवस १५४ तथा पारणाना दिवस ३३ मळी कुल १८७ दिवस थाय छे. (आतप पण चार परिपाटीए करतां वे वरस अने अठावीश दिवसे पूरो थाय छे एम मतांतर छे.)
उद्यापनमा मोटी स्नात्र विधिपूर्वक प्रभुनी पूजा भणावी उपवासनी संख्या प्रमाणे मोदक, फळ, पक्काम विगेरे ढोकवां. | आ यति तथा श्रावकने करवानो आगाढ तप छे. गरगुं विगेरे पूर्ववत् " नमो अरिहंताणं" नुं गणq.
२५ बृहत् सिंहनिःक्रीडित तप. एकद्वयककपाटयोनियमलवंदत्रिवाणाधिभिः षट्पञ्चाश्वरसाष्टसप्तनवभिर्नागैश्च दिग्नन्दकैः । मद्राशारविभद्र...विबुधर्मार्तडमन्वन्वितैर्विश्वेदेवतिथिप्रमाणमनभिश्चाष्टिप्रतिथ्यन्वितैः ॥ १॥ कलामनुतिथित्रयोदशचतुर्दशार्यान्वितैस्त्रयोदशशिवांशभिर्दशगिर्राशनन्दैरपि ।
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