Book Title: Taporatna Mahodadhi
Author(s): Bhaktivijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 11
________________ शब्द तपोरत्न- 18 २५ श्रीरंगविजयजीनी प्रति. २६ छुटक पत्रो. २७ श्राद्ध विधि. १३सांकेतिक महोदधि २८ प्रचलित परंपरा संबंधी पत्रो. २९ जैन धर्म प्रकाश पु. २५. ३० तपावलिनुं टीपणुं. ॥९॥ सांकेतिक शब्द. | सांकेतिक शब्द नीचे आंक मुक्या छे ते प्रमाणे खमासमण देवा, साथीया करवा, काउसग्ग करवा. अने नवकारवाळी गणवी. ख.-तेटला खमासमण देवा. सा-सेटला साया करवा. लो०-तेटला लोगस्सनो काउस्सग्ग करवो. नो-तेटली नवकारवाली गणवी. आ ढूंका चार अक्षरनी नीचे लखेलां अंको ते तेनुं प्रमाण समजवू. तेमज तपना नामनी साथे सकेला अक्षरो;-जै० प्र०-जैन प्रबोध. जै. सिं-जैन धर्म सिंधु. २० वि.-श्री रंगविनयजीनी प्रति. ला० श्रीलाभश्रीजी पासेथी मळेल पत्रो. पं०त. पंन्यास श्री कमळविजयजीनी छपावेल बपावळी. वि. प्रविधिप्रपा, प्र. प्रचलित. रा. वि. राम विनोद. जा. जापमालानी बुक. छु. प.छुटक पत्र. श्रा०वि० श्राद्धविधि छापेली. प.प्र. परंपराधी प्रचलित. टी० तपावलि टीपणुं. ते वे ग्रंथोमांधी लीधेल समजबुंः तपमहिमा-तप विधान. श्री आचारदिनकरमा श्रीवर्द्धमानसूरि कहेछ के ॥९॥ HERABANGLA HAMROCESS MainEducation For Private Personal Use Only

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