Book Title: Tao Upnishad Part 03
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 342
________________ Chapter 30 WARNING AGAINST THE USE OF FORCE He who by Tao purposes to help the ruler of men Will oppose all conquest by force of arms. For such things are wont to rebound. Where armies are, thoms and brambles grow. The raising of a great host is followed by a year of dearth. Therefore a good general effects his; purpose and stops. He dares not rely upon the strength of arms; Effects his purpose and does not glory in it; Effects his purpose and does not boast of it; Effects his purpose and does not take pride in it; Effects his purpose as a regrettable necessity; Effects his purpose but does not love violence. (For) things age after reaching their prime. That (violence) would be against the Tao. And he who is against the Tao perishes young. अध्याय 30 बल-प्रयोग से बचें ! जो ताओ के अनुसार राजा को मंत्रणा देता है, वह शस्त्र बल से विजय का विरोध करेगा। क्योंकि ऐसी विजय विजयी के लिए भी बहुत दुष्परिणाम लाती हैं। जहां सेनाएं होती हैं, वहां कांटों की झाड़ियां लग जाती हैं। और जब सेनाएं खड़ी की जाती है, उसके अगले वर्ष में ही अकाल की कालिमा छा जाती हैं। इसलिए एक अच्छा सेनापति अपना प्रयोजन पूरा कर रुक जाता हैं। वह शस्त्र बल का भरोसा कदापि नहीं करता है। वह अपना कर्तव्य भर निभाता है, पर उस पर गर्व नहीं करता हैं। वह अपना कर्तव्य भर निभाता है, पर शेखी नहीं बघारता । वह अपना कर्तव्य भर निभाता है, पर उसके लिए घमंड नहीं करता हैं। वह एक वेदपूर्ण आवश्यकता के रूप में युद्ध करता हैं। वह युद्ध करता है, लेकिन हिंसा से प्रेम नहीं करता । क्योंकि, चीजें अपना शिखर छूकर फिर गिरावट को उपलब्ध हो जाती हैं। हिंसा ताओ के विपरीत हैं। और जो ताओ के विपरीत हैं, वह शीघ्र नष्ट हो जाता हूँ।

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