Book Title: Tao Upnishad Part 01
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 259
________________ Download More Osho Books in Hindi Download Hindi PDF Books For Free कम में आज पेट न भरेगा। खोज पर निकली भोजन की। दोपहर होने आ गई। खोजती रही; ऊंट तो मिला नहीं मिल भी जाता तो किसी प्रयोजन का न था। भूख बहुत बढ़ गई, भोजन मिला नहीं। दोबारा उसने झांक कर देखा कि छाया की क्या हालत है। सूरज सिर पर आ गया था। छाया सिकुड़ कर बहुत छोटी हो गई थी। उसने सोचा, अब तो, अब तो छोटा-मोटा एक खरगोश भी मिल जाए, तो काम चल सकता है। अब तो छोटे-मोटे खरगोश से भी काम चल सकता है। छाया से जो जीएगा, वह ऐसी ही मुश्किल में पड़ता है। कभी छाया बहुत बड़ी मालूम पड़ती है, संयोग की बात है। जवानी में सभी को छाया बड़ी मालूम पड़ती है। तब सूरज निकल रहा होता है। नसरुद्दीन कहता था कि मैं जब जवान था, मैंने तय किया था कि करोड़पति होकर रहूंगा। यह मेरा पक्का संकल्प था। लेकिन जब वह कह रहा था, तब वह एक भिखारी से कह रहा था, मित्र से दोनों भीख मांगते थे। यह मेरा संकल्प था जवानी में कि करोड़पति होकर ही मरूंगा। उसके मित्र भिखारी ने गौर से देखा । उसने कहा, फिर क्या हुआ तुम्हारे संकल्प का? नसरुद्दीन ने कहा, बाद में मैं पाया, करोड़पति होने की बजाय संकल्प को बदल लेना ज्यादा आसान है। संकल्प बदल लिया। बाद में सभी ऐसा पाते हैं। उसका कारण यह नहीं है। छाया छोटी हो गई होती है। खरगोश से भी काम चल जाता है। बूढ़े होते-होते - होते-होते-होते आदमी पाता है कि ठीक है। जवानी में छाया बड़ी मालूम पड़ती है, वह सांयोगिक है। बुढ़ापे में सब सिकुड़ जाता है, छोटा हो जाता है। लेकिन जो जानते हैं, वे जवानी में भी जानते हैं कि छाया छाया है, वह मैं नहीं हूं। ठीक ऐसी ही एक अंतर छाया है, जिसका नाम अहंकार है। उसे हम कहें, इनर शैडो जीवन के संबंधों से एक भीतर भी छाया निर्मित होती है, जो मेरा अहंकार है; जिससे मैं तौलता हूं कि मैं कौन हूं। और वह रोज हमें बदलना पड़ता है; क्योंकि वह भी संयोग पर निर्भर करता है। एक आदमी सुबह आता है और कहता है कि आप ! आप जैसा आदमी जमीन पर कभी पैदा ही नहीं हुआ ! एकदम छाया बड़ी हो जाती है भीतर। आखिर खुशामद का सारा रहस्य इसी पर है। और बड़े मजे की बात यह है कि कभी कोई नहीं पहचान पाता कि यह खुशामद है। कभी कोई नहीं पहचान पाता कि यह खुशामद है। यह आदमी खुशामद कर रहा है, कोई नहीं पहचान पाता। नहीं पहचान पाएगा; क्योंकि खुशामद बड़ी सुखद है, छाया को बड़ी करती है। जिसको हम मेहनत से भी बड़ा नहीं कर पाते, खुशामद उसे एकदम फुला देती है। कहते हैं कि नसरुद्दीन को हिंदुस्तान भेजा गया था; उसके सुलतान ने भेजा था। बड़ी मुश्किल में पड़ गया नसरुद्दीन। हिंदुस्तान आया; सम्राट की तरफ से आया था, सम्राट के दरबार में आया था। हिंदुस्तान के सम्राट के पास जाकर उसने कहा कि धन्य हैं आप, हे पूर्णमासी के चांद ! जो राजदूत था, जिस मुल्क से नसरुद्दीन आया था, उसने फौरन अपने सम्राट को खबर की कि यह आदमी आपने कैसा भेजा है? इसने यहां के सम्राट को पूर्णमासी का चांद कहा है। आपकी बेइज्जती हो गई। जब नसरुद्दीन पहुंचा, तो सम्राट बहुत नाराज था। उसने कहा कि मैंने सुना है, तुमने कहा कि पूर्णमासी का चांद ! मुझे छोड़ कर और भी कोई पूर्णमासी का चांद है? नसरुद्दीन ने कहा, आप? आप दूज के चांद हैं। लेकिन पूर्णमासी के बाद अमावस ही आती है। आपका अभी बहुत विकास संभव है। आप समझे नहीं, नसरुद्दीन ने कहा कि मैंने क्यों पूर्णमासी का चांद कहा। अब मौत करीब है उस आदमी की, मरेगा। आप दूज के चांद हैं! वह यहां से भी सम्मान लेकर गया, पुरस्कार लेकर गया; उसने वहां भी सम्मान और पुरस्कार लिया। यहां उसने पूर्णिमा का चांद कह कर अहंकार को फुसला दिया; वहां उसने दूज का चांद कह कर अहंकार को फुसला दिया। और आदमी ऐसा कमजोर है कि दूज के चांद से भी फसल जाता है और पूर्णमासी चांद से भी फसल जाता है। हम तैयार ही बैठे हैं कि कोई कहे। साधारण सी स्त्री को कोई कह देता है कि तुझसे सुंदर कोई भी नहीं है! फिर वह आईने में अपनी शक्ल ही नहीं देखती, वह भरोसा ही कर लेती है। नसरुद्दीन अपनी प्रेयसी के पास बैठा है समुद्र के किनारे उसकी प्रेयसी कहती है कि समुद्र और तुममें बड़ी समानता है। जब भी मैं समुद्र को देखती हूं, तुम्हारी याद आती है; और जब भी तुमको देखती हूं, समुद्र की याद आती है। नसरुद्दीन फूल गया। नसरुद्दीन ने कहा, निश्चित ही! निश्चित ही समानता इसीलिए मालूम पड़ती होगी, बिकाज दि सी इज़ आल्सो सो वास्ट, सो रॉ, सो वाइल्ड, सो रोमांटिक! जैसा कि मैं हूं, ऐसा ही विस्तार यह सागर का, ऐसा ही जंगली इसका रुख, ऐसी ही कच्ची इसकी आवाजें और ऐसा ही रूमानी है! जरूर इसीलिए तुम्हें मेरी और इसके साथ याद आती होगी। इस पुस्तक का श्रेय जाता है रामेन्द्र जी को जिन्होंने आर्थिक रूप से हमारी सहायता की, आप भी हमारी सहायता कर सकते हैं देखें आखिरी पेज

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