Book Title: Tao Upnishad Part 01
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 285
________________ Download More Osho Books in Hindi Download Hindi PDF Books For Free चौबीस घंटे के लिए कभी प्रयोग करके देखें-छोड़ें, ज्यादा की फिक्र नहीं करें-चौबीस घंटे के लिए साधारण हो जाएं। चौबीस घंटे एक ही स्मरण रख लें एक बार चौबीस घंटे कि मैं साधारण आदमी हं, ना-कुछ। और चौबीस घंटे के बाद आप फिर कभी असाधारण न हो सकेंगे, न होना चाहेंगे। क्योंकि साधारण होने में आपको ऐसे आनंद की झलक मिल जाएगी, जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते लेकिन वह झलक मिलती नहीं, क्योंकि ऐसे अकड़े हुए हैं असाधारण होने में कि वह झलक मिले कैसे? द्वार-दरवाजे बंद करके बैठे हैं असाधारण होने में। अपने सिंहासन से नीचे उतरें। स्वर्ण-सिंहासनों पर, अहंकार के, जीवन का रहस्य नहीं है। विनम्रता के साधारण धूल-धूसरित मार्गों पर भी बैठ जाने से जो मिल जाएगा, वह भी अहंकार के स्वर्ण-मंडित शिखरों पर बैठने से नहीं मिलता है। इतना ही। कोई जाएगा नहीं। आज आखिरी दिन है, तो दस मिनट पूरे कीर्तन में डूब कर जाएं। शायद कीर्तन आपको साधारण बना दे। लेकिन उसमें भी आप अकड़े बैठे रहते हैं कि कोई देख न ले कि इतना असाधारण आदमी और ताली बजा रहा है! जिनको नाचना हो, वे बीच में खड़े हो जाएं। बीच में भी नाचने का खयाल आ जाए, बाहर आ जाएं। बिलकुल साधारण हैं। पंद्रह मिनट के लिए तो कम से कम साधारण हो जाएं। और देखें कि साधारण कोई भी हो सकता है। इस पुस्तक का श्रेय जाता है रामेन्द्र जी को जिन्होंने आर्थिक रूप से हमारी सहायता की, आप भी हमारी सहायता कर सकते हैं -देखें आखिरी पेज

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