Book Title: Tansukhrai Jain Smruti Granth
Author(s): Jainendrakumar, Others
Publisher: Tansukhrai Smrutigranth Samiti Dellhi

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Page 12
________________ लालाजी जैन समाज के उन कर्मठ अनुभवी और कर्तव्यपरायण कार्य-कर्तामों में से थे जिन्हे सदैव देश और समाजसेवा का प्रकृतिदत्त व्यसन था जो कठिन से कठिन परिस्थिति में सदैव निर्भय और सफल रहते थे। लालाजी की प्रतिभा सर्वतोमुखी थी। सभी विषयों में उनकी प्रवाधगति थी। ऐसे कर्मयोगी सेवापरायण निस्वार्थ समाज-सेवक नर-रत्न का उनके जीवन मे ही यथोचित सत्कार होना चाहिए था। उनके कार्यों से युवको को भली प्रकार परिचित होना आवश्यक है ताकि नि:स्वार्थ कार्यकर्तामो की वृद्धि हो परन्तु ऐसा हुआ नहीं। समाज अपने कार्यकर्ताओ के प्रति उदासीन रहती है। कुछ भाइयो की मान्तरिक प्रमिलापा थी कि उनके सम्बन्ध में एक उत्तम अन्य प्रकाशित हो । उनके विचारो का नवयुवक लाभ उठा सकें। उन्हें मार्गदर्शन मिल सके। इसी भावना से उनके मित्रो और घनिष्ठ सम्पर्क रखने वाले साथियो की प्रेरणा से एक स्मृति-प्रन्य प्रकाशित किया जा रहा है। इससे लालाजी की देश और समाज के प्रति की गई सेवा से आप भली प्रकार परिचित होंगे। ___ अथ को सर्वांग सुन्दर बनाने का प्रयत्ल किया गया है परन्तु सम्भव है आपकी रुचि अनुकुल न हो परन्तु फिर भी उनके कार्यो का सुन्दर दिग्दर्शन और धार्मिक लेखो से प्रथ की शोभा बढ़ गई है। इस प्रकार के अन्य से आप भली प्रकार उनके कार्यों से परिचित हो सकेंगे। प्रथ के कार्य को प्रारम्भ करने के लिए श्रीवनमुखराय जैन स्मृतिग्रंथ मयोजक समिति का निर्माण हुआ। जिसके अध्यक्ष स्वनाम धन्य दानवीर साहू गान्तिप्रसाद जी है। साहू जी ने इस कार्य मे विशेष रुचि प्रकट की। क्योकि सुयोग्य कार्यकर्ता और समान सेवको का सम्मान करना अत्यन्त आवश्यक है । 'गुणिषु प्रमोद' की भावना का यही अभिप्राय है । गुणवान सेवाभावी पुस्पो को देखकर हृदय मे हर्ष का भाव होना प्रमोद भावना है। यह कहते हुए अपार हर्प होता है कि इस सम्बन्ध में हिन्दी के उच्चकोटि के लेखक और प्रतिभा सम्पन्न विद्वानो मे एच समाज के गण्यमान नेतामो, कार्यकर्तामो और प्रमुख पुरुषों कषियो तथा सुयोग्य सपादको ने अपनी श्रद्धाजलि, सम्मरण, कविताएँ भिजवाकर हमे अनुगृहीत किया है। हम उन लेखको, कवियो और नेताओं के हार्दिक आभारी है जिन्होंने हमारी प्रार्थना पर रचनाएँ भिजवा कर हमे अनुगृहीत किया है। साथ ही प्रथ की छपाई और इतने मुन्दर डग से प्रकाशित करने का श्रेय श्री रामजस कालेज सोसाइटी के प्रेस व्यवस्थापक श्री सुरेन्द्र प्रकाश जी रस्तोगी विशेष धन्यवाद के योग्य है जिन्होंने बड़ी चि और उत्साह के साथ हमारे इस कार्य में पूर्ण सहयोग प्रदान किया है। एकवार हम उन सभी सम्पादकी, लेखको और नेताओ को धन्यवाद देते है जिन्होंने लालाजी के प्रति अपना स्वाभाविक प्रेम दर्शाकर ही उनके सम्बन्ध मे अमूल्य विचार दिए है। माशा है इस स्मृतिग्रप से लालाजी की स्मृति हमारे हृदय में सदैव बनी रहेगी और उनके किए गए कार्यों से हम थोड़े-बहुत उऋण भी हो जावेंगे।

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