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प्रगतिशील समाज सुधारक
माननीय श्री जगजीवनराम जी भूतपूर्व रेलवे मत्री, भारत सरकार
__ स्वर्गीय श्री तनसुखराय से मेरा परिचय १६४१ मे हुआ था। मेरठ में अखिल भारतीय दलित-वर्ग सम्मेलन से होते हुए मैं दिल्ली आया। सम्मेलन से लौटते हुए दूर-दूर के कुछ प्रतिनिधि भी मेरे साथ थे। दिल्ली में उनके आवास, भोजन का प्रवन्ध करना था। एक मित्र के द्वारा तनसुखराय से परिचय हुआ। तनसुखराय ने काफी दिलचस्पी से सभी व्यक्तियो के लिए उचित प्रबन्ध करा दिया। इसका मेरे ऊपर गहरा असर पडा। तब से हम एक-दूसरे के नजदीक आते गए। मैने पाया कि तनसुखराय जी एक निखरे हुए देशभक्त, समाजसेवी और परदुखकातर पुरुष थे। राष्ट्र और समाज के लिए सदा सोचा करते थे और कुछ न कुछ रचनात्मक काम भी किया करते थे। वे एक प्रगतिशील समाज-सुधारक थे। जन-समाज के लिए उनकी सेवाएं नगण्य नहीं रही। संगठन को बढाया और समाज को प्रगतिशील बनाने मे यलशील रहे।
अतिम दिनो मे उनका स्वास्थ्य गिर गया था और आर्थिक कठिनाई मे भी रहते थे। फिर भी समाज-सेवा के कार्य से विमुख नही हुए। समाज के उपेक्षित और पीडित समुदाय के लिए उनके दिल में इतना अगाध प्रेम था कि स्वय कष्ट मे रहते हुए भी वे इनके लिए क्रियात्मक रूप से सहानुभूति दिखाने में कभी नहीं हिचकते थे। हम उनकी स्मृति को अक्षुण्ण रखें। उनके जीवन से समाज को प्रेरणा मिले तो यह उनके लक्ष्य के प्रति अच्छी स्मृति होगी।
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कर्मठ कार्यकर्ता और निर्भीक नेता
प्रसिद्ध साहित्यसेवी श्री महेन्द्रजी
संचालक साहित्यरत्न भडार, आगरा आप महानुभावो ने श्री तनसुखराय जैन की स्मृति में एक स्मृति-अथ प्रकाशित करने का निश्चय किया है-यह जान कर हर्ष हुआ। लालाजी ने धर्म और समाज की बड़ी सेवा की थी। उनका लगभग सारा जीवन समाज की सेवा में व्यतीत हुआ। उन जैसे कर्मठ कार्यकर्ता
और निर्भीक नेता थोड़े ही होते है। समाज में उनके द्वारा ऐसे अनेक कार्य सफलता पूर्वक सम्पन्न हुए हैं कि उनकी याद सदा बनी रहेगी। उनके यशस्वी जीवन की चिर स्मृति और उनकी प्रात्मा की शान्ति के लिए मै जिनेन्द्र भगवान से प्रार्थना करता हूँ।
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