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रक्षाबन्धन के दिन की बात है, मै आपके पास गई थी मुझे अपने कर्तव्य का ध्यान भी न था । वे प्रचानक मुझे स्मरण दिलाते हुए बोल पडे, "वहन, मेरे हाथ मे राखी बांघो ।” इतना कहना था कि जेब से एक नोट बाहर निकल आया । मेरे ना करने पर लाड में न जाने क्या बोलते चले गये । मेरे स्वीकार करने पर ही शान्त हुए । यह था उनका मेरे प्रति श्रगाध प्रेम ।
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एक दिन की बात है मैं आपके निवास स्थान पर गई । श्रापकी सुपुत्री जिसका नाम स्वदेश है एक नया कोट पहने मेरे पास मा गई । मैं उधर देखने लगी। मेरा उधर देखना था कि वे बोल उठे - "कैसा है स्वदेश का कोट ? अच्छा सिला है न । तुम्हे भी ऐसा ही कोट सिलवा कर दूँगा ।"
भाई तनसुखराय अनेक प्रकार से मेरे प्रेरक तथा सहयोगी थे । उनके सहयोग और उनकी सहायता की भावना से लोग मुझ से ईर्ष्या करते थे । सन् १९३३ ई० 'चुनाव का क्या कहना ? मेरे प्रतियोगी देशबन्धुजी थे । उस समय अज्ञात रूप से आप मेरा प्रचार करते रहे । इश्तिहारो की बोरियां की वोरियां आपके श्रादमी रातो-रात बाँट जाते । इतना ही नही भाई मानसिंह उनका यह सन्देश भी लाये, "भाई तनसुखराय जी ने कहा "कि वहन किसी प्रकार की चिन्ता न करें। चुनाव मे हर प्रकार की सुविधा प्रदान करेगे ।"
यह तो रही पिछले चुनाव की बात । इस अन्तिम एम० एल० सी० के चुनाव में भी अस्वस्थता की स्थिति मे स्वय अपने साथियों के साथ मेरे चुनाव क्षेत्र मे गये । मेरे साथी जो मेरे साथ ही निर्वाचित हुए उन्होने आपके सहयोग को देखकर कह दिया, "बहन जी श्रापके लिए तो नई-नई गाडियां, नई-नई कारे आ रही है। इतना ही नही, जैनियो के बडे-बडे नेता पधार रहे है | आपको चुनाव की क्या चिन्ता ? गाडियाँ लाने वाले जैनियो के नेता और कोई नही बल्कि भाई तनसुखराय ही थे । उनके ये कार्य मुझे उस समय कुरेदेगे जब मै पुनः निर्वाचन क्षेत्र मे प्रस्तुत होऊँगी । किन्तु उस समय भी भाई तनसुखराय की श्रात्मा हमारी अप्रत्यक्षरूप से सहायता करेगी। ऐसे महान् व्यक्ति चले जाते है किन्तु छोड जाते है अपनी एक अमिट छाप ।
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नई-नई सूझ के धनी
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श्री लक्ष्मीनारायण अग्रवाल मंत्री वैश्य कोपरेटिव बैक, दिल्ली
श्राप जैन समाज के एक ऐसे कर्णधार थे जो वैश्य जाति की उन्नति के लिए सतत प्रयत्नशील रहते थे । वैश्य युवकों मे व्यापार की ओर विशेष रुचि पैदा हो इसलिए आप सतत जागरूक रहते थे । बैंक के पुराने सदस्य थे । वैश्य कोआपरेटिव कमर्शियल बैंक लि० की कार्यकारिणी के सदस्य थे। मैं श्रापके प्रति श्रद्धाजलि अर्पित करता हूँ ।
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