Book Title: Tansukhrai Jain Smruti Granth
Author(s): Jainendrakumar, Others
Publisher: Tansukhrai Smrutigranth Samiti Dellhi

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Page 18
________________ राष्ट्र निर्माण की प्रतिज्ञा करें महावीर क्या थे जैन समाज के सगठन का रूप कैसा हो ? भगवान महावीर और उनके सदेश जैन समाज के सामने एक समस्या महावीर जयंती पर हमारा कर्तव्य Report on the Marketing of Meat in India कवितायें मानव धर्म ईश्वरोपासना विविध कविताए हिन्दोस्ता हमारा वीर की सच्ची जयन्ती समाज सम्वोधन साघु विवेक जैन सम्बोधन हृदयोद्गार, सफल जन्म नवयुवको से नम्र निवेदन धनिक सम्बोधन उपदेशिक ढाला नीच और अछूत चेतावनी जैन धर्म की प्राचीनता जैन झडा गायन सद्धर्म संदेश पूज्य पिता की जय-जय स्वदेश सदेश तेरी आयु मे कमती पडे १८१ प्रमुख नेताओं के वाक्य १८२, १८३ १८४, १८५ १५६-१८९ १८६ १०-१२ १६३, १९४ विविध आन्दोलन, द्वितीय अध्याय महगांव आन्दोलन दस्सा पूजन अधिकार दूध-घी मिलावट कान्फ्रेंस के अध्यक्ष तिलक बीमा कम्पनी की अपूर्व सफलता श्री श्यामलाल पाडवीयं श्री राजेन्द्रकुमार सेठ शातिदास प्राणकरण जी का भाषण १९५-१९७ १९८-२०० २०१-२०८ २०६, २१० २११ २१२ २१३ २१४-२१६ २१७, २१८ २१६, २२० २२१, २२२ २२३ २२४, २२५ २२६, २२७ २२८ २२६, २३० २३१, २३२ २३३, २३४ २३५-२४३ २४३ २४४ - २४६ २४७ - २४९ २५० - २५३ २५४, २५५

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