Book Title: Tamso ma Jyotirgamayo
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 220
________________ हिंसा-अहिंसा को परख २०७ है। कोई हिंसा ऐसी भी होती है, हिंसा करने के बाद उसका फल इस लोक या परलोक में मिलता है। एक शिकारी ने मृग को मारने के लिए बंदूक तानी, परन्तु कारतूस खराब होने के वह चला न सका। इससे मृग का वध तो न हो सका, लेकिन परिणाम कषाययुक्त होने से भावहिंसा का फल उसे मिलता ही है। इस प्रकार हिंसा-अहिंसा की विवेकपूर्वक परख एवं नापतौल करने से आप अवश्य ही इन दोनों से परिचित हो जाएंगे और अहिंसा के सोपान पर क्रमशः चढ़ते जाएंगे। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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