Book Title: Tali Ek Hath Se Bajti Rahi
Author(s): Moolchand Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 3
________________ ताली एक हाथ से बजती रही। क्या ये आपने सुना है या देखा है। यदि नहीं तो देखिये कैसे बजती रही एक हाथ से ताली ? कमठ और मरुभूति दो भाई थे - सगे भाई। कई जन्मों तक कमठ का जीव मरुभूति के जीव के प्राण लेता रहा, परन्तु मरुभूति का जीव सदैव शांत बना रहा। एक तरफा बैर- सुनने में बड़ा अटपटा सा लगता है । परन्तु हुआ ऐसा ही । बैर करने वाला गिरता रहा, गिरता रहा भटकता रहा, भटकता रहा। और शान्त रहने वाला चढ़ता रहा, चढ़ता रहा, बढ़ता रहा बढ़ता रहा अपनी मंजिल की ओर। सबने देखा शांत बना रहने वाला एक दिन बन गया भगवान । तो क्या हम भी शांत नहीं बने रह सकते ? चाहे कोई हमें गाली दे, बुरा भला कहे, मार पीटे, यहां तक कि हमारे प्राण भी ले ले। यदि हमने शांत बने रहना सीख लिया, हर परिस्थिति में, तो समझिये हमने जीवन जीने की कला सीख ली। जीवन में तो अजीब आनन्द आने ही लगेगा और कभी न कभी हम भी बन सकेंगे भगवान पार्श्वनाथ की तरह । तो आओ कुछ प्रेरणा लें इस कथा से. और शांत बने रहने की कला को सीखें । बजने दें ताली एक हाथ से............ ताली E एक हाथशरी रेखांकन: बनेसिंह पोदनपुर के राजा का नाम अरविन्द था । वह बड़ा, धर्मात्मा था। उसका मंत्री था विश्व भूति । विश्वभूति की पत्नी थी अनूधर जो बड़ी रूपवती व गुणवती थी। उनके दो पुत्र थे, बड़े का नाम कमठ बड़ा दुराचारी, दुष्ट स्वभाव वाला। छोटे का नाम मरुभूति - बड़ा सज्जन आई मरुभूति की पत्नी दोनों में अटूट प्रेम कमठ स्त्री विसुन्दरी... 0000000

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 ... 36