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कुछ समय बाद एक दिन मुनि पार्श्वनाथ ध्यानस्थ बैठे थे अहिक्षेत्र में, ऊपर से जा रहा था कमठ का जीव संवर नाम का देव अपने विमान में। विमान मुनि के ऊपर आया
और अटक गया। रुक गया।
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हैं । मेरा
विमान क्यों रुक गया ? अरे नीचे वही भुनि बैठा है जो पहले
भव में मेरा शत्रु था। इसने मेरा बड़ा अपमान किया था। अब लूंगा इससे बदला दिल खोल कर देखूं कहां जाता है मुझ से बच कर । आज तो सारी कसर निकाल ही लूंगा ।
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संवर देव ने मुनि पार्श्वनाथ पर उपसर्ग 'शुरू किया... भीषण वर्षा... तूफान...... अग्निवर्षा, पत्थर गिरे परन्तु मुनि ध्यानमग्न बैठे रहे...