Book Title: Tali Ek Hath Se Bajti Rahi
Author(s): Moolchand Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 33
________________ णमोकार मंत्र अनादि मंत्र णमो अरहंताणं : अरहंतों को नमस्कार । जिनके भूख, प्यास, बुढ़ापा, रोग, जन्म, मरण, भय, मद, मोह, राग, द्वेष, और शोक आदि दोष नाश हो गए हों, उन्हें अरहत कहते हैं। णमो सिद्धाणं : सिद्धों को नमस्कार। जो संसार के बन्धन से छूट कर सदा के लिए परमात्मपद पा गए हों उन्हें सिद्ध कहते हैं। णमो आइरियाणं : आचार्यों को नमस्कार। जो संसार की वासनाओं को छोड़ कर स्वयं साधु पद में रहते हुए अन्य साधुओं को मार्गदर्शन देते हैं उन्हें आचार्य कहते हैं। णमो उवज्झायाणं : उपाध्यायों को नमस्कार। साधुओं के पठन-पाठन कराने वाले साधु को उपाध्याय कहते हैं। णमो लोए सव्वसाहूण : लोक के सभी साधुओं को नमस्कार। संसार की वासनाओं से उदासीन, सब जीवों मे समान भाव रखने वाले और सदा ज्ञान, ध्यान, तप में लीन महात्मा को साधु कहते हैं। यह मूल मंत्र प्राकृत में है. इसके प्रत्येक पद में वर्णित गणअनादि हैं और इसलिए यह मंत्र भी अनादि है। इसे किसी व्यक्ति ने नहीं बनाया. ना ही यह किसी व्यक्ति विशेष से सम्बन्धित है-यह तो सार्वजनीन है क्योंकि यह मानव मंत्र है।

Loading...

Page Navigation
1 ... 31 32 33 34 35 36