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एक दिन आनन्दमुनिघोर तपस्या कर रहे थे किएक शेर उनपर झपटा।यह शेर उसीकमठ काजीवथा जो बैरभाव के कारण सातवें नर्क से निकलकर इसी बन में शेर हुआ मुनि को देख कर....
अरेयही तो मेरा कई जन्मो का शत्र है। अब कहां जायेगा मेरे से बच कर। मारुझपट्टा
और कर दूंइसका काम तमाम |
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इतना उपसर्ग होने पर भी शान्ति से प्राण छोड़ते है मुनि आनन्द और शुभ परिणामों के कारण पहुंच जाते हैं आनल नाम के स्वर्ग में वहां पर जब उनकी आयु ६महीने शेष रह गई तब वहां सौधर्म इन्द्र ने कुबेर को बुलाकर मंत्रणा की व आगे की व्यवस्था के लिए आदेश दिया.
देखो कुबेर आनत स्वर्ग के इन्द्र की आयु केवळ ६महीने की बाकी रह गई है। वह वाराणसी में २३ तीर्थंकर होने वाले है। तुम वाचले जाओ नगरीकोखूबसजाओ और १५.महीने तक प्रतिदिन रत्नों की
वर्षा करो जोआज्ञा महाराज
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