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इन्द्राणी बालक को सौधर्म इन्द्रको सौंपते हुए
लो चलो
ताकि नेत्रों के द्वारा इन्हें अपने हृदय में
भगवान बालक को लेकर सौधर्म इन्द्र ऐरावत हाथी पर बैठा है। ईशान इन्द्र ने छत्र लगाया - सनत्कुमार | व महेन्द्र चमर ढोर रहे हैं।, सब देव देवियां गीत गाते, नृत्य करते पुष्प वृष्टि करते, जुलूस के रूप में पाडुक शिला की ओर जा रहे हैं
प्राणनाथ ! लो इन्हें लो | कितना सुन्दर बालक है ? धन्य हुए हैं हम आज ।
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बालक क्या है कमाल का रूप है • इनका । मैं तो देख कर तृप्त ही नहीं हो पा रहा हूं। शायद १००० नेत्री से देख कर तृप्त हो सकूं १००० नेत्र बना लेता हूं उतार सकूं ।