Book Title: Swopagnyashabda maharnavnyas Bruhannyasa Part 5
Author(s): Hemchandracharya, Lavanyasuri
Publisher: Jain Granth Prakashak Sabha

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Page 7
________________ श्रीसिद्धहेम-सूत्राणां पञ्चमाध्यायगतानामकारादिक्रमेणानुक्रमणिका । अग्निचित्या ५॥१३७॥ , आधारात् ५।४।६८॥ एष्यत्य० गे ५।४।६॥ तक्तवतू ५५११७४।। अग्नेश्वेः ५॥१४१६४॥ आनायो० म् ५।३.१३६॥ | कथमि० वा ५१४।१३।1 | क्तेटोगु० ५।३.१०६॥ ५११५४६॥ आनुलो० चा ५।४।८। कदाक० वा ५१३८॥ क्त्वातुम० वे ५११४१३॥ अचित्ते० क ५१८३1 | आयुधा० देः ५११६४11 ] करणा० ते ११११५८॥ कच्यात्दो ५२११५१|| अजाते:० म्या: ५।१।१७०.! | आरम्भे ५५१५१०॥ करणा० रे ५३११२६।। क्रियायां० ५३।१३॥ अजाते:० ले ५१११५४।। आशिषि० न: ।५।१८। करणेभ्यः | क्रुध-सं० प् ५।३।११४॥ अदोऽनत् ५११५०11 | आशिष्य न् ५।१७।। ५॥१३॥ | क्लीबे क्तः ५।३।१२३॥ अद्यतनी १५२१४॥ आशिष्या० म्यौ ५१४३८। कर्तुः खश् ५१।११७॥ क्लेशादि त् ५१८१॥ अद्यर्था० रे, ५११२॥ | आसुयु० मः ५.१।२०।। कर्तुर्जी ० हः ॥४॥६६॥ | क्वचित् १११७१॥ अधीष्टी ५:४१३२॥ आस्यटि० प ५१३१६७॥ कर्तुणिन् ५११५३ 1 विप् ११४८।। अनट ५।३।१२४॥ | आहावो० म् ५१३१४४।। कदा क० वा ५॥३८॥ | क्षिपरट: ५॥२॥६६॥ अनद्य० नी ५१३५॥ इकिश्ति० र्थे ५.३।१३८।।। कर्मणोऽण् ५।११७२॥ | क्षिप्राशं० म्यौ ५४॥३॥ अनद्य० नी ५२।७।।। इङितो. त् ५५२१४४।। | कर्मणोऽण ५।३।१४।। | क्षुश्रीः ५१३१७१॥ अनोजडः ५११६८॥ इङोऽ० द्वा५।३।१६।। कर्मण्य० ५1१।१६५।। । क्षेपे च० ५।४।१८।। अन्तद्धि: ५॥३॥८६॥ | इच्छार्थे मी ५४८६॥ | कषोऽनि० ट: ५।३।३।। | क्षेपेऽ० ना ५४।१२॥ अन्यथै त् ५१४॥५०॥ इच्छा ) म्यौ ५१४१२७॥ कामोक्ता०ति ५४॥२६॥ क्षेमपिण् ५११११०५॥ अभिव्या० न् ५।३१६०॥ | इणोऽभ्रे ५।३७५॥ | कारणम् ५।३.१२७॥ खनो ड० च ५१३११३७॥ अयज्ञे स्त्रः ५।३।६८॥ इरंमदः ५२१११२७॥ | कालवे रे ५।४।३३॥ | खेयमृ० चे ॥१३॥ अयदिव्वा ५॥४॥२३॥ इषोऽनि० म् ५।३।११२॥ कालस्या० म् ५।४।७।। रूणम् चा०क्ष्ण्ये ५१४१४८।। अयदि०न्तो ५२१६ | उणादयः ५१९३॥ | कालेन रे ५१४१८२॥ | ख्याते दृश्ये ५२।। अहें तृच् ॥४॥३७॥ | उदः प० रेः ५।२।२६।। | किंवृत्ते. म् ५.३18 | गत्यार्था जे: ५।१११॥ अ)ऽच् ५१९१उदः श्रे: ५।३।५३॥ किंवृत्ते. त्यौ ५।४।१४॥ गत्वरः ५२७८॥ अवह० स्रोः ५११६३॥ उदो० ये ५।३१३५।। किंयत्र: ५१०१॥ | गस्थकः ५ १६६॥ ५।३१६२॥ उपपी. म्या ५.४/७५।। किकिला० न्ती ५१४।१६।। गात्रपु० स्न: ५॥४॥५६॥ अवात् म् ५।३।१३३।। | उपस० त: ५।३।११०॥ | किरो धान्ये ५३७३|| गापाप वे ५।३।९५॥ अविव० ते २२११४॥ | उपस० श्यः ५११५६॥ कुक्ष्यात्मो० खिः ५1१1१०11 गायोऽ० क ५११७४। अश्रद्धा० पि ५।४।१५।। | उपस० किः ५।३।८७॥ कुप्यभि० मिन ५११३६।। गेहे ग्रहः ५।११५५॥ कुमार०न् ५१1८२॥ असरू० क्तेः ५।१।१६॥ | उपस० श: ५।२।६६॥ गोचरम् ५।३।१३१॥ कूलादु० हः ५।१।१२२॥ असूर्यो० शः ५१११२६॥ उपात्ने ५१४७२॥ कूलाभ्र० षः ५१११११०॥ ५॥३॥५५॥ आङ: क्री० ष: ५१२:५१॥ उवर्णा० के ५११६॥ कृगः ख० णे ५।११२६॥ | ग्रहादिम्यो० ५११५३३॥ आड: शीलेः ५.१९६कृत्०ि षः ५१४१७०॥ कृग: श० वा ५/३.१००। प्राध्मापा०श: ५११५८॥ आडो युद्धे ५॥३॥४३॥ ऊर्धादि. तुः ५।११३६॥ कुगः सु० तु. ५.१११६२॥ी सास० ति ५।२।३।। बाइो रूप्लो: ५।३।४६॥ ऋ दुपा० च: ५।११४१॥ कृगोऽ० मौ ५४८४|| चरेरा० रौ ५।१३१॥ आ तुमो त् ५।११ऋवर्ण ण् ५५१४१७॥ कृग्ग्र० त् ५।४।६।। चरेष्ट: ५।१।१३८॥ आतो डो० मः ५१७६।।। ऋषिना० णे ५।२।८६॥ कृतास्म०क्षा ५२।१।।। चर्मोद० रे: ५।४॥५६॥ आधारात् ५११३७] एजे: ५।१।११८॥ कृवृषि० वा ५११४२॥ चलश त् ५।२।४३॥ अवात्

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