Book Title: Sutrakritanga Sutra Part 02
Author(s): Jayanandvijay
Publisher: Ramchandra Prakashan Samiti

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Page 2
________________ सूतकृतम् सूतम् उत्पन्नमर्थरूपतया तीर्थकृदभ्यस्ततः कृत ग्रन्थरचनया गणधरैः तीर्थंकरों से अर्थ रूप में उत्पन्न होने से एवं गणधरों के द्वारा सूत्र रूप में उत्पन्न होने के कारण सूतकृत कहा जाता है।

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