Book Title: Sursen Mahasen Charitram Author(s): Vardhamansuri Publisher: Shravak Hiralal Hansraj View full book textPage 3
________________ S Maham An Kende Acharya Kagera Gyanmandi सूरसेन चरित्रं ॥ १ ॥ -S4 SHASHKALSADAS ॥ श्रीजिनाय नमः ॥ 11 सान्वय ॥ अथ श्रीसूरसेनमहासेनचरित्रं प्रारभ्यत ॥ भाषांतर (मूलकर्ता-श्रीवर्धमानसूरिः) अन्वय सहित गुजराती भाषांतर कर्ता पंडित श्रावक हीरालाल हंसराज (जामनगरवाळा) रोद्रातधी-शस्त्रदान-पापशिक्षा-प्रमादिताः । अनर्थदण्डस्तच्यागः स्यात्तृतीयं गुणवतम् ॥ १॥ अन्यय:-रीत आर्त धी शस्त्र दान पाप शिक्षा प्रमादिताः, अनर्थ दंडः, तत् त्यागः तृतीय गुण व स्मात् ॥१॥ अर्थः-रौद्रध्यान, आर्तध्यान, शखो आपा, अने पापकार्योनो उपदेश, तथा प्रमादपणुं, ए अनर्थ दंड छे, तेओनो जे त्याग करवो, ते श्रीजु गुणत्रत कहेवाय. ॥१॥ अनर्थदण्डवोरामत्रतधोरा महोदयम् । लभन्ते शुभसंभारभासुराः सुरसेनवत् ॥२॥ अवयः-अनर्थ दंड वीराम व्रत धीराः, शुभ संभार भासुराः सुरसेनवत् महोदयं लभते. ॥२॥ ***** For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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