Book Title: Sursen Mahasen Charitram
Author(s): Vardhamansuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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S Maham An Kende
Acharyan ka
mandi
सान्वय
मूरसेन चरित्र
भाषांतर
॥ १० ॥
॥१०॥
ACAAKAARA.
जिनप्रवचनवादानन्दामन्दसुधारसो । तौ भवाहिभुवा ग्रस्तौ न मोहविषमूर्छया ॥ २९ ॥ ___ अन्यवः-जिन प्रवचन स्वाद आनंद अमंद सुधा रसौ ती, भव अहि भुवा मोह विपमूठया न ग्रस्तौ. ॥ २९ ।।
अर्थः-जैन आगमोना स्वादना आनंदरूपी अति अमृतरसमा मग्न थयेला एवा तेश्रो संसाररूपो सर्पथी उत्पन ययेली मोहरूपी विषनी मूर्छाथी ग्रस्त था नही. ॥ २९ ॥ कदाप्येतो गतावात्मोद्याने दहशतुर्मुनिम् । स्वमातुलं वसन्ताख्यं पुंवृतं पतितं भुवि ॥ ३०॥
अन्वयः-कदापि आत्म उपाने गती पती वसंत आरू स्त्र मातुलं मुनि पुरा भुवि पतितं दहशतुः ।। ३० ।। अर्थः-एक वखते पोताना बगीचामां गयेला एवा तेओ बन्नेए वसंत नामना पोताना मामा मुनिराजने पुरुपोथी वींटायेला तथा पृथ्वीपर पडेला जोया ॥ ३०॥ किमभूत्किमभृदेतदिति व्याकुलचेतसि । धोरेऽथ पृच्छति पुमानेकस्तत्राश्रुमुग्जगो ॥ ३१ ॥
अन्वयः-अथ कि अभूत् ? किं अभून ' इति व्याकुल चेतसि धीरे पृच्छति, तत्र एक' पुमान अश्रुमुन् जगौ. ॥ ३१ ॥
अर्थः-पली (अरे!) आ शुं थयु ? शु थयु? एम ब्याकुल हृदयथी धीरे पूउवाथी, सां एक माणसे आंखोमां आंसुओ लावी का कधु के, ॥ ३१॥
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