Book Title: Sulsa Charitam
Author(s): Harishankar Kalidas Shastri
Publisher: Jain Vidya Shala

View full book text
Previous | Next

Page 5
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विस्तारो. ॥४॥जे मोक्षमार्गनाप्रयाणने विषे कल्याणकारी जे, जेमना घणा विपुल दृढ । खजाने विषे सर्पराज रह्यो अने जे मनुष्योने वधता एवा शुकन रूप ; ते श्री पार्श्व नाथ प्रजु विघ्ननो नाश करो. ॥५॥ शम दमादि गुणोए करीने वृद्धि पामेला, थत्यंत कैल्याणकारी शिवमार्गयाने, नागाधिराजोरुदृढांससंस्थः॥ यो वईमानः शकुनो जनानां, "विघ्नानिघातं स तनोतु पार्थः॥५॥ श्रीवईमानं गुणवईमानं, नितांतकांतं कृतपातकांतम् ॥ "वंदे मुंदारं देदतामुंदारं, सिद्धार्थजातं गदितार्थजातम् ॥६॥ वर्णानिरामं सुविशालपत्रं, 'विस्मेरयंतं सुमनश्चरित्रम् ॥ श्रेयःफलाढ्यं विबुधैकलदयं, सेवे सदाप्तागमकल्परदम् ॥७॥ मनोहर, पापनो नाश करनार, हर्ष श्रापनार, दातारोमा श्रेष्ठ, सिद्धार्थ राजाना पुत्र अने सिद्धांतना श्रर्थना समूहने कहेनार एवा श्री वईमानखामीने टुं नमस्कार करूं . ॥ ६ ॥ अक्षरोथी मनोहर (रूपे करीने सुंदर), सारा विशाल ताडपत्रोने विषे ल opoornooooooo000000०००००००००० For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 ... 228