Book Title: Sulsa Charitam
Author(s): Harishankar Kalidas Shastri
Publisher: Jain Vidya Shala

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Page 14
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra सुलसा० ॥६॥ www.kobatirth.org केम न होय ? अर्थात् नर्मदा नदीनी पेठे या सुलसानुं चरित्र पण पवित्र करनारुं बे ॥ २२ ॥ घणा ज निर्मल एवा सम्यक्त्व रूप रत्ने करीने बांध्युं वे तीर्थंकर नामकर्म जेणीए एवी जे सुलसा (ते) श्रावती चोवीशीमां या पवित्र पृथ्वीतलने विषे श्री निर्मम हवे सुलसा बीजा जवने विषे कोण थशे ? ते कहे बे. सैम्यक्त्वरत्नेन सुनिर्मलेन, या वैधतीर्थंकरनामकर्मा ॥ श्री निर्ममः पंचदशो "जिनेंद्रशे, नैविष्यति कोणीतले मलेऽस्मिन् ॥२३॥ कवि, या सुलसाचरित्र कहेवानुं कारण कहे बे. ( अनुष्टुपू वृत्तम् ) गुणोत्कीर्तनमेतस्याः सुलसायाः कॅरोम्यहम् ॥ चरित्रद्मना स्वीयसम्यक्त्वामलताकृते ॥ २४ ॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नामना पंदरमा तीर्थंकर थशे. ॥ २३ ॥ हुं पोतानुं सम्यक्त्व निर्मल करवा माटे चरि त्रना मिषयी या सुलसाना गुणोनुं कीर्त्तन करूं . ॥ २४ ॥ For Private and Personal Use Only प्रस्ताव० ॥६॥

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