Book Title: Sulsa Charitam Author(s): Harishankar Kalidas Shastri Publisher: Jain Vidya Shala View full book textPage 4
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुलसा प्रस्ताव विष विज्ञान, दान, अध्ययन, राज्य, विवाह, दीक्षा, आगम अने देशनार्जुना प्रारंजमा : कारने कस्यो , ते श्री युगादि प्रजु (रुपनदेव) संपत्तिने अर्थे था. ॥२॥ जे हरिणे श्राश्रय कराएला एवा य पण अर्थात् हरिणना लंडनवाला उतां पण निष्कलंक कहे |वाय डे,कलाउँने धारण करता बतां पण जे दोषोनी खाण कद्देवाता नथी, तथा अन्य 'यो निष्कलंको देरिणाश्रितोपि, दोषाकरो नैव कैलानतोपि॥ श्रीशांतिनाथोऽपरसोममूर्तिः, शांति से वो यत्तु चारुकीर्तिः ॥३॥ कृष्णोऽपि मुष्णाति तैमःसमूह, यो वीतरागोऽपि ररंज लोकम् ॥ प्राप्तोऽचलस्थोऽपिनेवस्य पारं, सौनाग्यनारं सें तनोतु नेमिः॥४॥ निष्कलंकी चंड रूप एवा श्रने मनोहर कीर्तिवाला ते श्री शांतिनाथ प्रनु तमने शांति थापो. ॥ ३ ॥ जे कृष्ण वर्ण बतां पण अंधकारना समूहनो (अज्ञाननो) नाश करे । बे, रागरहित उतां पण लोकने थानंद पमाडे श्रने रैवताचल (गिरनार) पर्वत उपर रह्या उतां पण संसार समुज्नो पार पाम्या जेते श्री नेमिनाथ प्रजु सौजाग्यना जारने १ रात्रिने विषे किरणवाला. ॥१॥ For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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