Book Title: Suktaratnavali
Author(s): Sensuri, Sagarmal Jain
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 3
________________ आचार्य विजयसेनसूरीश्वरजीकृत सूक्तरत्नावली (सह नन्दनमुनिकृत आलोचना) a दिव्यकृपा २४ विश्वपूज्य श्रीमद्विजयराजेन्द्रसूरीश्वरजीम.सा. xa मंगलमय आशीर्वाद आचार्य श्रीजयन्तसेनसूरीश्वरजी ४ दिव्य आशीष २४ समत्व साधिका परम पूज्य महाप्रभाश्रीजी म.सा. ४ सम्प्रेरक पूज्या साध्वी डॉ. प्रीतिदर्शना श्रीजी 38 अनुवादक ४ साध्वी श्री रूचिदर्शना श्रीजी ४ सम्पादक ४ डॉ. सागरमल जैन & प्रकाशक ४ प्राच्य विद्यापीठ, दुपाड़ा रोड, शाजापुर (म.प्र.) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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